सीएसआईआर – केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी) और राजस्थान विश्वविद्यालय के बीच विभिन्न शैक्षणिक एवं अनुसंधान क्षेत्रों में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) का आदान-प्रदान किया गया।
इस समझौते का उद्देश्य दो प्रतिष्ठित संगठनों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और ज्ञान-विनिमय को सुगम बनाना था। इस एम ओ यू से दोनों संगठनों के बीच परस्पर साझेदारी की शुरुआत हुई है। इस अवसर पर सीएसआईआर-सीरी के निदेशक डॉ. पी.सी. पंचरिया और राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा की उपस्थित थे।इसके अलावा श्री अशोक चौहान, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, श्री साईं कृष्णा वड्डादि, प्रभारी वैज्ञानिक सीएसआईआर-सीरी, जयपुर परिसर, और डॉ. मेघेन्द्र शर्मा, सचिव, विज्ञान भारती-राजस्थान भी उपस्थित थे।
MOU पर सीएसआईआर-सीरी की ओर से वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजय चटर्जी (प्रमुख, टेक्नोलॉजी बिजनेस डेवलपमेंट, जयपुर) और राजस्थान विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रार प्रोफेसर अवधेश सिंह ने हस्ताक्षर किए।
डॉ. पीसी पंचारिया, निदेशक, सीएसआईआर-सीरी ने सेमीकंडक्टर्स के क्षेत्र में संस्थान के द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली शोध सुविधाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह एमओयू न केवल सीएसआईआर-सीरी और राजस्थान विश्वविद्यालय के शैक्षिक और अनुसंधान परिदृश्य को समृद्ध करेगा, बल्कि प्रदेश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान भी करेगा। प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने भी दोनों संस्थाओं के बीच हुए एमओयू पर प्रसन्नता व्यक्त की।
एक प्रमुख वैज्ञानिक संगठन और विश्वविद्यालय के बीच सहयोगात्मक पहल से अनुसंधान और नवाचार के नए युग की शुरुआत होगी। सीएसआईआर-सीरी और राजस्थान विश्वविद्यालय के बीच यह एमओयू परस्पर सहयोग को बढ़ावा देने, उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने, और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचार को प्रेरित करने के महत्वपूर्ण एवं दूरदर्शी उद्देश्य से किया गया है जिससे छात्र, शोधकर्ता के साथ-साथ व्यापक परिप्रेक्ष्य में समाज भी लाभान्वित होगा।
इसके अलावा इसके माध्यम से सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ उद्योग सहयोगियों, और अंतरराष्ट्रीय शोध एवं शैक्षणिक संगठनों से फंडिंग भी प्राप्त होगी।
सीरी और राजस्थान विश्वविद्यालय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं नवाचार को बढ़ाने के लिए संयुक्त कार्यशालाएं, सेमिनार, और सम्मेलनों का आयोजन करेंगे जो वैज्ञानिकों और छात्र-छात्राओं में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को प्रोत्साहित करने में सहायक सिद्ध होगा।