संभल, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर उत्पन्न विवाद ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम निर्देश जारी करते हुए निचली अदालतों को कोई भी कार्रवाई करने से रोक दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश के बिना आगे कोई कदम न उठाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता मस्जिद कमेटी से पूछा कि उन्होंने हाई कोर्ट का रुख करने से पहले सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया। मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा, “हम नहीं चाहते कि इस मामले में कुछ भी असामान्य हो। उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।” अदालत ने यह भी कहा कि मस्जिद पक्ष के पास हाई कोर्ट में अनुच्छेद 227 के तहत याचिका दाखिल करने का विकल्प है।
CJI ने कहा, “हम यह मामला यहीं लंबित रखना उचित समझते हैं। याचिकाकर्ता अपनी दलीलें उचित मंच पर रखें।” अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अगर कोई अपील या पुनरीक्षण याचिका दाखिल की जाती है, तो उसे तीन दिनों के भीतर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
जिला प्रशासन को शांति समिति बनाने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शांति बनाए रखने पर जोर दिया। अदालत ने जिला प्रशासन को सभी संबंधित पक्षों के प्रतिनिधियों के साथ एक शांति समिति बनाने का निर्देश दिया। “हम तटस्थ रहकर सुनिश्चित करेंगे कि कोई अप्रिय घटना न हो,” सुप्रीम कोर्ट ने कहा।
मस्जिद विवाद: इतिहास और वर्तमान स्थिति
संभल की जामा मस्जिद, जो मुगल शासक बाबर के काल में बनाई गई थी, पर यह विवाद है कि यह स्थल पहले हरि हर मंदिर था। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को हटाकर किया गया। इसे लेकर स्थानीय चंदौसी कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। अदालत ने इस पर सर्वे का आदेश दिया, जिसके बाद इलाके में तनाव उत्पन्न हो गया।
24 दिसंबर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने मस्जिद का दौरा किया। इस दौरान मुस्लिम समाज द्वारा विरोध किया गया, जिसके चलते पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़पें हुईं। इन घटनाओं में मुस्लिम समुदाय के चार युवकों की मौत हो गई, जिससे इलाके में स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।