संभल, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश का संभल जिला पिछले एक महीने से लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। यूपी सरकार ने 1978 में हुए संभल दंगों की बंद पड़ी फाइल को फिर से खोलकर इसकी जांच करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से इस मामले को लेकर दी गई हालिया बयानबाजी के बाद दंगे के मामले में एक नई दिशा में जांच शुरू हो गई है। प्रशासन और पुलिस अब इस दंगे की जांच कर एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंपेगी।
इस दंगे में मौत का आधिकारिक आंकड़ा 24 था, लेकिन स्थानीय निवासियों का दावा है कि इस संख्या से कहीं अधिक लोगों की जानें गई थीं। दंगे की वास्तविकता का पता लगाने के लिए पुलिस और प्रशासन अब उस समय हुई घटनाओं की जांच कर रहे हैं। इसके साथ ही, दंगे के बाद बेघर हुए लोगों का आंकड़ा भी एक प्रमुख बिंदु बनेगा।
सीएम योगी का बयान और दंगे की गहरी जांच की जरूरत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले कुछ समय पहले 1978 के संभल दंगों को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि इस दंगे में कुल 184 लोग मारे गए थे और कई परिवारों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा था। अब, पुलिस और प्रशासन इस मामले में हुई मौतों और अन्य घटनाओं की असल जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करेंगे।
विधान परिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा की मांग पर जांच शुरू
संभल के एसपी, केके बिश्नोई ने जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया को एक पत्र भेजकर जानकारी दी कि यूपी विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद शर्मा ने 1978 के दंगे की पुनः जांच की मांग की थी। इस पर, उन्हें यूपी के उप सचिव गृह और पुलिस अधीक्षक मानवाधिकार से एक पत्र प्राप्त हुआ था। एसपी ने डीएम से आग्रह किया है कि संयुक्त प्रशासनिक जांच के लिए किसी अधिकारी को नामित किया जाए।
दंगे की भयावहता और प्रशासन की तत्परता
1978 में हुए इस दंगे की घटनाएँ आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। कई दिनों तक संभल में हिंसा का सिलसिला चलता रहा और पूरे इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया था। इस दौरान करीब 169 मामले दर्ज किए गए थे, जिनकी जांच और छानबीन की जा रही थी। मुरादाबाद के कमिश्नर ने संभल के डीएम से संबंधित दस्तावेजों को मंगवाने का निर्देश दिया है, ताकि दंगे की सच्चाई सामने आ सके।