श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर की दो प्रमुख जेलों – श्रीनगर सेंट्रल जेल और कोट बलवाल जेल (जम्मू) – में आतंकी हमले की खुफिया जानकारी सामने आने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने व्यापक सतर्कता और निगरानी की कार्रवाई शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, इन जेलों में कई हाई प्रोफाइल आतंकी और ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) कैद हैं, जिन्हें छुड़ाने या निशाना बनाने की साजिश रची जा सकती है।

DG CISF ने की श्रीनगर में सुरक्षा समीक्षा बैठक
जानकारी के अनुसार, CISF के महानिदेशक (DG) ने रविवार को श्रीनगर का दौरा कर सुरक्षा ग्रिड के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान दोनों जेलों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई और अतिरिक्त बलों की तैनाती के निर्देश दिए गए। बैठक के बाद कई नई सुरक्षा परतें जोड़ी गईं, ड्रोन निगरानी और CCTV कवरेज को भी अपडेट किया गया है।
अक्टूबर 2023 से CISF के जिम्मे जेल सुरक्षा
यह उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2023 से जम्मू-कश्मीर की जेलों की सुरक्षा का जिम्मा CRPF से CISF को सौंपा गया था। तब से लेकर अब तक CISF ने जेल परिसरों में सुरक्षा का नया ढांचा तैयार किया है। लेकिन हालिया खुफिया इनपुट के बाद विशेष रूप से इन दोनों जेलों में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।
NIA की पूछताछ में नए सुराग
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) भी इस घटनाक्रम में सक्रिय भूमिका निभा रही है। हाल ही में NIA ने जम्मू जेल में बंद दो OGWs – निसार और मुश्ताक – से पूछताछ की। इन दोनों को 1 जनवरी 2023 को राजौरी आतंकी हमले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें दो बच्चों सहित सात नागरिकों की जान गई थी। हमले के अगले दिन एक IED विस्फोट भी हुआ था।

पहलगाम हमले की जांच NIA के पास
27 अप्रैल 2025 को NIA ने पहलगाम आतंकी हमले की जांच अपने हाथ में ली, जिसके बाद जांच एजेंसी ने कई राज्यों – महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल – में जाकर पीड़ितों के बयान दर्ज किए। अधिकारियों का मानना है कि निसार और मुश्ताक को इस हमले की योजना की पूर्व जानकारी थी या उन्होंने मदद की थी। उनकी पूछताछ से आतंकी नेटवर्क की गहराई तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।
दिल्ली में छह बांग्लादेशी महिलाओं की गिरफ्तारी
इसी क्रम में दिल्ली पुलिस ने अवैध रूप से रह रहीं छह बांग्लादेशी महिलाओं को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस इन महिलाओं को जल्द ही बांग्लादेश डिपोर्ट करने की प्रक्रिया में है। यह घटना भी आतंकी नेटवर्क की मददगार एजेंसियों और ओवर ग्राउंड नेटवर्क की मौजूदगी की ओर इशारा करती है।