Thursday, June 19, 2025
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शेखावाटी को मिलेगा यमुना का पानी: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की मध्यस्थता के बाद राजस्थान और हरियाणा के बीच हुआ समझौता
कांग्रेस ने कहा- भाजपा की नियत में खोट

हरियाणा सरकार अब यमुना का पानी राजस्थान को देगी। राजस्थान और हरियाणा सरकार के बीच शनिवार को दिल्ली में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में समझौता हुआ है। समझौते के बाद राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि लम्बे समय से अटकी हुई योजना अब धरातल पर उतरेगी। कांग्रेस सरकार ने इस योजना पर ध्यान नहीं दिया। वहीं समझौते के बाद कांग्रेस ने सरकार की नियत पर सवाल उठाए हैं।
राजस्थान के शेखावाटी संभाग के लिए 30 साल से चली आ रही यमुना के पानी की योजना के अब धरातल पर उतरने का रास्ता साफ हो गया है। दिल्ली में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में समझौता हुआ।

इस समझौते से राजस्थान के शेखावाटी के तीन जिलों में पीने के पानी की सप्लाई होगी। समझौते के बाद सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि लम्बे समय से अटकी हुई योजना अब धरातल पर उतरेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने इस योजना पर ध्यान नहीं दिया। इसकी वजह से प्रदेश के तीन जिलों में आम जनता को पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ा।

कांग्रेस पर  साधा निशाना


लम्बे समय से चली आ रही इस मांग के पूरा होने पर सीएम भजनलाल शर्मा ने पहले तो हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय मंत्री को धन्यवाद दिया, उसके बाद पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जमकर घेरा। सीएम भजनलाल ने कहा कि यह लम्बे समय से अटकी हुई योजना थी, जिस पर ध्यान नहीं दिया गया। कांग्रेस की सरकार कभी इस तरह के कामों पर ध्यान नहीं देती है। लेकिन अब राजस्थान और हरियाणा में भाजपा की सरकार है। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने बड़ा दिल करते हुए इस योजना को आगे बढ़ाने पर सहमति दी है। इस योजना से प्रदेश के चूरू, सीकर और झुंझुनू जिलों में पानी की दिक्कत खत्म होगी और इन जिलों में पीने की पानी की पूरी व्यवस्था हो पाएगी।

बीजेपी की नियत में खोट : कांग्रेस


कांग्रेस प्रवक्ता और यमुना जल संघर्ष समिति के संयोजक यशवर्धन सिंह शेखावत ने कहा कि आज यमुना जल समझौते को लेकर केंद्र और राज्य सरकार वाहवाही लूट रही है। यह सिर्फ जनता को गुमराह करने की कोशिश है। यमुना के पानी के लिए पिछले 30 साल से शेखावाटी के लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। इस योजना के लिए 1994 में एग्रीमेंट हुआ था, 2017 तक जब इस पर कोई काम नहीं हुआ तो एक याचिका के रूप में हम कोर्ट गए। कोर्ट के आदेश के बाद 2019 में 31,000 करोड़ की डिटेल्ड डीपीआर तैयार करके रिपोर्ट केंद्रीय जल आयोग को भेजी गई, ताकि वहां पर उसको टेक्निकल अप्रूवल मिल सके और उसके बाद काम चालू हो सके। केंद्रीय जल आयोग 2019 से 2024 तक उस रिपोर्ट को सिर्फ इसलिए लेकर बैठा रहा, क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और उसका श्रेय कहीं कांग्रेस को ना मिल जाए।

पिछली सरकार में तैयार हुई रिपोर्ट को दबाकर रखा


कांग्रेस प्रवक्ता यशवर्धन सिंह शेखावत ने कहा कि आज दोबारा जानकारी आई है कि नया समझौता हुआ है। इसमें 3 पाइपलाइन के माध्यम से राजस्थान में पानी लाया जाएगा, जबकि पिछली DPR में 6 पाइपलाइन से पानी लाने का प्रावधान था। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा ने सिर्फ राजनीतिक द्वेष के कारण पिछली सरकार में तैयार हुई रिपोर्ट को दबाकर रखा। अब दोबारा से नई डीपीआर के जरिए रिपोर्ट लाने की बात कर रहे हैं। शेखावत ने कहा कि किस बात की वाह-वाही भाजपा सरकार ले रही है? जब पहले से DPR बनी हुई है तो उसकी पालना क्यों नहीं हो रही है? सिर्फ जनता को गुमराह करने का काम भाजपा कर रही है। इस नई DPR के नाम पर सिर्फ समय और पैसा खराब होगा और शेखावाटी के लोगों को फिर इंतजार करना पड़ेगा।

क्या है यमुना समझौता

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दरअसल, बरसात के दिनों में यमुना के अतिरिक्त पानी को राजस्थान को देने की मांग 30 साल पुरानी है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली ने ओखला तक यमुना नदी के पानी के आवंटन के संबंध में 12 मई 1994 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इस एमओयू के अनुसार ओखला बैराज और ताजेवाला हेड के माध्यम से राजस्थान का हिस्सा 1.119 बीसीएम है, लेकिन लम्बे समय से इस समझौते को धरातल पर नहीं उतारा गया। हालात ये रहे कि ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया जहां 2017 में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर यशवर्धन सिंह ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर यमुना के पानी को लेकर हुए समझौते को पूरा करने के आग्रह किया था।

इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नाराजगी भी जताई थी। साथ ही सरकार से पूछा था कि वर्ष 1994 में यमुना नदी के पानी के बंटवारे को लेकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हिमाचल सहित राजस्थान के बीच एक समझौता हुआ था। पानी के बंटवारे को लेकर किसी तरह का कोई विवाद नहीं होने के बावजूद राज्य सरकार की ओर से पानी लाने के लिए कोई प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इस योजना को आगे क्यों नहीं बढ़ाया गया? कोर्ट की फटकार के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस पर पहल की, लेकिन हरियाणा में भाजपा सरकार होने के चलते योजना राजनीति में उलझ गई थी।

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