Thursday, March 20, 2025
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शिक्षित परिवार ने रूढ़िवादिता को त्यागकर बिना दहेज के सादगीपूर्ण विवाह किया, समाज के सामने प्रस्तुत किया अनूठा उदाहरण

सूरजगढ़, 18 मार्च 2025: झुंझुनू जिले के सूरजगढ़ तहसील स्थित पिलोद गांव में एक ऐसा विवाह संपन्न हुआ, जो समाज के लिए मिसाल बन गया। 16 मार्च 2025 (रविवार) को पिलोद निवासी विजय निर्मल, जो कि एक प्रधानाध्यापक हैं, ने अपनी बेटी की शादी बिना दहेज के करवाई। उनकी बेटी डॉक्टर हैं, और उन्होंने अपने जीवनसाथी के रूप में एक डॉक्टर को चुना, जिनकी माता भी प्रिंसिपल पद पर कार्यरत हैं। इस शादी में किसी भी प्रकार का दहेज लेने या देने की प्रथा का अनुसरण नहीं किया गया।

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सादगी से हुआ विवाह, शिक्षा और समाजसेवा को दी प्राथमिकता

विवाह को पारंपरिक रूढ़ियों से अलग रखते हुए परिवार ने इसे एक सामाजिक उत्थान का अवसर बनाया। शादी में होने वाले अनावश्यक खर्च को बचाते हुए विजय निर्मल ने समाज के हित में कुल 2,55,000 रुपये का योगदान दिया। यह राशि शिक्षा और सामाजिक विकास के लिए समर्पित की गई।

  • मास ग्रुप को 51,000 रुपये समाज में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए दिए गए।
  • अंबेडकर भवन, झुंझुनू की लाइब्रेरी को 51,000 रुपये आवश्यक सामग्री खरीदने हेतु प्रदान किए गए।
  • बौद्ध विहार, जय पहाड़ी, झुंझुनू को 51,000 रुपये सहयोग राशि के रूप में भेंट किए गए।
  • गांव पिलोद के दो सरकारी विद्यालयों को 51,000-51,000 रुपये शिक्षा सुधार हेतु दिए गए।

इस अवसर पर नवविवाहित दंपति ने स्वयं इन चेकों को भेंट किया, जिससे समाज में शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा मिल सके।

बिना दहेज विवाह की प्रशंसा, समाज के लिए प्रेरणादायक उदाहरण

इस विवाह में सम्मिलित हुए सभी मेहमानों और समाज के लोगों ने इस पहल की सराहना की। आज के दौर में जब दहेज की कुप्रथा के कारण कई रिश्ते टूट जाते हैं, ऐसे में यह विवाह एक सकारात्मक बदलाव का प्रतीक बन गया। बिना दहेज शादी करने का निर्णय लेकर इस परिवार ने समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया है।

विवाह समारोह में मास ग्रुप के सदस्य भी उपस्थित रहे, जिन्होंने नवविवाहित जोड़े को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। साथ ही, संविधान की प्रस्तावना की प्रति भेंट कर उन्हें संविधान की मूल भावना के प्रति जागरूक किया।

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समाजसेवा में अग्रणी परिवार, शिक्षा को बनाया प्राथमिकता

विजय निर्मल और उनके छोटे भाई सुभाष चंद्र, जो दोनों ही शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं, ने इस विवाह को एक नई सोच के साथ संपन्न किया। दोनों भाइयों के पुत्र वर्तमान में MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं, और उन्होंने अपने परिवार के इस निर्णय का स्वागत किया।

इस विवाह ने यह संदेश दिया कि समाज में बदलाव लाने के लिए पहल स्वयं से करनी होगी। विजय निर्मल के परिवार और रिश्तेदारों पर पूरे समाज को गर्व है, क्योंकि उन्होंने दिखाया कि दहेज पर खर्च करने की बजाय इस राशि का सदुपयोग समाज और शिक्षा के उत्थान में किया जा सकता है।

यह विवाह न केवल एक परिवार की सोच का प्रतीक है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। यदि हर परिवार इस दिशा में कदम बढ़ाए, तो आने वाली पीढ़ी एक समानतापूर्ण और शिक्षित समाज की ओर अग्रसर हो सकती है

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