गोरखपुर, उत्तर प्रदेश: विजयादशमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर भगवान गोरखनाथ और श्रीनाथजी की विशेष पूजा-अर्चना की। इस दौरान उनका पीठाधीश्वर वाला स्वरूप स्पष्ट दिखाई दिया, जब वे खास परिधान में मंदिर पहुंचे।
योगी आदित्यनाथ हर साल विजयादशमी के मौके पर विशेष पूजन के लिए गोरखनाथ मंदिर का दौरा करते हैं। वे न केवल पूजा की गतिविधियों का संचालन करते हैं, बल्कि पूजन के बाद ही वापस लौटते हैं। गोरक्ष पीठाधीश्वर होने के नाते उन्हें अपने धार्मिक दायित्वों का भी निर्वहन करना होता है।
मुख्यमंत्री की धार्मिक भूमिका
मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ का समय ज्यादातर राज्य के विकास कार्यों में बीतता है। गोरखपुर, जो उनके संसदीय क्षेत्र रहा है, में उन्होंने सांसद रहते हुए नियमित रूप से गोरखनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। वे स्थानीय नागरिकों से मिलकर उनकी समस्याएं भी सुनते थे और समाधान करने का प्रयास करते थे।
मुख्यमंत्री बनने के बाद जब वे गोरखपुर नहीं होते, तब गोरखनाथ मंदिर के संचालन की जिम्मेदारी अन्य संत और मंदिर समिति के सदस्य संभालते हैं। हालांकि, महत्वपूर्ण अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में उनकी उपस्थिति अनिवार्य होती है।
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अनुष्ठान का महत्व
योगी आदित्यनाथ गोरक्ष पीठाधीश्वर होने के कारण गोरखपुर में होने वाले किसी भी बड़े धार्मिक अनुष्ठान का संपन्न होना उनकी उपस्थिति पर निर्भर करता है। गोरखपुर का नाम भगवान गोरखनाथ के नाम पर रखा गया है, और यह क्षेत्र हिंदू जन जागृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।
मोहन भागवत का संदेश
विजयादशमी पर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में शस्त्र पूजा की और पथसंचलन में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने हिंदुओं को संगठित रहने का संदेश दिया। उन्होंने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे वहां हिंदुओं ने संगठित होकर अपने अधिकारों की रक्षा की।