नई दिल्ली: लोकसभा में बीती रात एक ऐतिहासिक सत्र के दौरान वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया। देर रात 1:56 बजे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने घोषणा की कि विधेयक के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि विरोध में 232 सांसदों ने मतदान किया। इस विधेयक को पारित करने के साथ ही सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया कि वह अपने निर्णयों में अडिग है और किसी भी राजनीतिक दबाव को स्वीकार नहीं करती। अब इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
विधेयक पर सत्ता और विपक्ष आमने-सामने
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी सहयोगी पार्टियों ने इस विधेयक का पुरजोर समर्थन किया, जबकि विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया। विपक्ष ने इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कदम बताते हुए बहस को आक्रामक रूप दिया, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे न्याय और पारदर्शिता स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया।

इस विधेयक पर चली लंबी बहस के बाद हुए मतदान ने साबित कर दिया कि मोदी सरकार बहुमत की संख्या कम होने के बावजूद ठोस फैसले लेने में सक्षम है। इस कदम से सरकार ने यह संदेश भी दिया कि वह अपने नीतिगत फैसलों पर समझौता नहीं करेगी।
240 सीटों के बावजूद सरकार की मजबूती साबित
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद भाजपा को पूर्ण बहुमत तो नहीं मिला, लेकिन 240 सीटों के साथ वह सबसे बड़ी पार्टी बनी रही। विपक्ष को यह उम्मीद थी कि गठबंधन सहयोगियों पर निर्भरता के चलते भाजपा कुछ महत्वपूर्ण फैसले लेने से पीछे हटेगी। लेकिन इस विधेयक को पास कर मोदी सरकार ने यह साबित कर दिया कि वह न केवल स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकती है बल्कि अपनी विचारधारा के अनुरूप काम करने में भी सक्षम है।
यह स्थिति 2019 के लोकसभा चुनाव से काफी भिन्न है। तब भाजपा को 303 सीटें मिली थीं और सरकार ने तीन तलाक, अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) जैसे बड़े फैसले महज 6 महीने के भीतर लागू कर दिए थे। लेकिन 2024 के चुनावों में सीटें घटने के बावजूद सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि वह अपने राजनीतिक और वैचारिक एजेंडे से पीछे नहीं हटेगी।
विपक्ष के मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति को झटका
वक्फ संशोधन विधेयक का पारित होना विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। विपक्ष लंबे समय से मुस्लिम समुदाय के नाम पर राजनीति करता आ रहा है, लेकिन इस विधेयक ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार धार्मिक आधार पर नीतियों को संचालित करने के बजाय पारदर्शिता और कानून व्यवस्था को प्राथमिकता दे रही है।
भाजपा नेताओं का कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया है। सरकार का यह कदम विपक्ष की रणनीति को कमजोर कर सकता है, जो अक्सर मुस्लिम समुदाय को केंद्र में रखकर राजनीति करती रही है।
छोटे अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा का भरोसा
इस विधेयक के जरिए सरकार ने छोटे अल्पसंख्यक समुदायों को भी यह भरोसा दिलाया है कि उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। सदन में चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल मुस्लिम वक्फ संपत्तियों तक सीमित नहीं है, बल्कि पारसी, जैन और अन्य छोटे अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना भी है।
सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सभी धार्मिक और अल्पसंख्यक समुदायों को समान रूप से देखा जाएगा और किसी विशेष समुदाय के लिए अलग से नियम नहीं बनाए जाएंगे। इससे छोटे अल्पसंख्यक समुदायों को भी एक सकारात्मक संदेश गया है कि उनकी धार्मिक और सामाजिक संरचनाओं की रक्षा की जाएगी।

चुनावी राजनीति में बीजेपी को लाभ
वक्फ संशोधन विधेयक के लोकसभा में पारित होने का असर आगामी विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिल सकता है। बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं, जहां भाजपा इस विधेयक को अपनी ताकत के रूप में पेश कर सकती है।
इस विधेयक के पारित होने से भाजपा को उन मतदाताओं के बीच समर्थन मिलने की संभावना है जो सरकारी नीतियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग करते रहे हैं। इससे भाजपा की छवि एक मजबूत निर्णय लेने वाली सरकार के रूप में और अधिक मजबूत होगी।
विपक्ष के लिए रणनीतिक चुनौती
विपक्षी दलों के लिए यह विधेयक एक गंभीर चुनौती बन सकता है। अब तक विपक्ष मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति के माध्यम से भाजपा पर निशाना साधता रहा है, लेकिन वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद विपक्ष को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है।