Thursday, June 19, 2025
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वक्फ संशोधन विधेयक पर JPC की बैठक समाप्त, 14-11 के बहुमत से पारित, विपक्ष ने जताई आपत्ति, असहमति नोट दाखिल करने का समय शाम 4 बजे तक

दिल्ली में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर संसद की संयुक्त समिति (JPC) की बैठक समाप्त हो गई। इस बैठक में 14-11 के बहुमत से बिल को स्वीकार कर लिया गया। समिति ने सत्तारूढ़ गठबंधन (NDA) द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को मंजूरी दे दी, जबकि विपक्षी दलों के संशोधनों को खारिज कर दिया गया। विपक्षी सदस्यों को आज शाम 4 बजे तक अपना असहमति नोट दाखिल करने के लिए कहा गया है।

असदुद्दीन ओवैसी का बयान: “सरकार वक्फ संपत्तियां छीनना चाहती है”

बैठक के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “आज ड्राफ्ट रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया, जिसमें 14 वोट पक्ष में और 11 वोट विपक्ष में थे। लेकिन कल रात 650 पन्नों की रिपोर्ट दी गई, इसे इतनी जल्दी पढ़ना असंभव था। हमारी पार्टी इस पर असहमति नोट दे रही है, क्योंकि मोदी सरकार जो संशोधन लाई है, वह वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें बर्बाद करने के लिए है। वक्फ मुसलमानों के लिए इबादत है, लेकिन सरकार इसे छीनना चाहती है।” उन्होंने आगे कहा, “सरकार के पास बहुमत है, इसलिए इस संशोधन को पारित करवा लिया गया। अब यह विधेयक संसद में जाएगा, लेकिन हम वहां भी लड़ाई लड़ेंगे। जरूरत पड़ी तो हम इसका विरोध सड़कों पर भी करेंगे।”

विपक्ष का विरोध, सरकार पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया न अपनाने का आरोप

इससे पहले JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा था कि स्वीकृत संशोधनों से कानून और अधिक प्रभावी और बेहतर बनेगा। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस बैठक की कार्यवाही की आलोचना की और जगदंबिका पाल पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप लगाया।

तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा,

“यह एक हास्यास्पद प्रक्रिया थी। हमारी बात नहीं सुनी गई। समिति के अध्यक्ष ने तानाशाही तरीके से कार्य किया है।”

हालांकि, जगदंबिका पाल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि,

“बैठक पूरी तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हुई और बहुमत की राय को स्वीकार किया गया है।”

संशोधन विधेयक पर अगला कदम: अब संसद में होगी चर्चा

JPC द्वारा पारित किए जाने के बाद अब यह विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। सत्तारूढ़ गठबंधन इसे जल्द से जल्द कानून का रूप देना चाहता है, लेकिन विपक्ष इसका कड़ा विरोध कर रहा है। संसद में इस पर तीखी बहस होने की संभावना है।

अब देखना होगा कि सरकार इस विधेयक को पारित कराने में सफल होती है या विपक्षी दल इसे रोकने के लिए नई रणनीति अपनाते हैं

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