नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम, विशेष रूप से उसके संशोधित प्रावधानों, की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि वक्फ अधिनियम का संशोधित स्वरूप मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और इसके तहत वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन मनमाने तरीके से किए जाने की आशंका है।
सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन भी सुनवाई जारी
गुरुवार को दोपहर 2 बजे मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की पीठ ने मामले की सुनवाई की। बुधवार को भी इस मामले पर विस्तृत बहस हुई थी।

केंद्र सरकार की दलील: ‘कोई रोक लगाने का आधार नहीं’
सुनवाई की शुरुआत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि वक्फ कानून के किसी भी हिस्से पर रोक लगाने का कोई औचित्य नहीं बनता। उन्होंने कहा कि
“अगर कोर्ट कानून के किसी हिस्से पर रोक लगाता है, तो यह बहुत असामान्य होगा।”
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं करने की अपील करते हुए एक सप्ताह का समय मांगा ताकि वह कोर्ट के उठाए गए सवालों का विस्तृत उत्तर दे सके।
कोर्ट का निर्देश: कोई नई नियुक्तियां नहीं, संपत्तियों की स्थिति यथावत
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि जब तक केंद्र सरकार अपना पक्ष नहीं रख देती, तब तक वक्फ से संबंधित संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि
“अगले आदेश तक वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।”
साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह फिलहाल कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर रहा है।

सिर्फ पांच मुख्य आपत्तियों पर होगी सुनवाई
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 100 से अधिक याचिकाओं की अलग-अलग दलीलों को पढ़ना संभव नहीं है, इसलिए सभी याचिकाकर्ता आपस में पांच मुख्य बिंदुओं पर सहमति बनाएंगे। कोर्ट ने कहा कि
“याचिकाकर्ता नोडल वकीलों के माध्यम से केवल पांच मुख्य आपत्तियों की सूची तैयार करें, उन्हीं पर सुनवाई होगी।”