Thursday, November 21, 2024
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लेबनान में इजरायली हमला: नसरल्लाह के गम में डूबे कश्मीरी नेताओं ने प्रचार रोका

लेबनान / इजरायल: इजरायल ने एक प्रमुख कार्रवाई करते हुए लेबनान में हमला कर शिया उग्रवादी संगठन हिजबुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरल्लाह को मार गिराया। इस हमले के बाद हिजबुल्लाह बैकफुट पर आ गया है, और इसके नतीजे में पश्चिम एशिया के हालात और भी तनावपूर्ण हो गए हैं। इस घटना ने न केवल मध्य पूर्व, बल्कि वैश्विक स्तर पर राजनीतिक माहौल को प्रभावित किया है। विशेष रूप से, ईरान ने इस घटना के बाद सीधे जंग में कूदने की धमकी दी है, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ने की आशंका है।

भारत में प्रतिक्रिया और विरोध प्रदर्शन

इस घटना का असर भारत के जम्मू-कश्मीर सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिला है। जम्मू-कश्मीर, जो फिलहाल चुनावी दौर से गुजर रहा है, में सैयद हसन नसरल्लाह की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। घाटी में शनिवार शाम से ही रुक-रुककर प्रदर्शन हो रहे हैं, जहां इजरायल और अमेरिका के खिलाफ नारे लगाए गए। घाटी के प्रमुख राजनीतिक नेताओं ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला का विरोध प्रदर्शन पर बयान

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सैयद हसन नसरल्लाह की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए रविवार को अपना चुनाव प्रचार रोकने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “गाजा और लेबनान के शहीदों के सम्मान में मैं अपना प्रचार रोक रही हूं। खासतौर पर हसन नसरल्लाह को श्रद्धांजलि दे रही हूं। हम इस दुख की घड़ी में गाजा और लेबनान के लोगों के साथ हैं।” घाटी के एक अन्य बड़े नेता उमर अब्दुल्ला ने भी इस पर दुख जताया है। हालांकि, उमर अब्दुल्ला ने अभी तक अपनी प्रचार योजनाओं में कोई बदलाव की घोषणा नहीं की है।

अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएँ

श्रीनगर से लोकसभा सांसद आगा रुहुल्ला ने भी अपना चुनाव प्रचार स्थगित कर दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैं नसरल्लाह के शहीद होने के सम्मान में अपना प्रचार समाप्त कर रहा हूं।” इसी तरह, पूर्व मंत्री इमरान अंसारी, जो पट्टन सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, ने भी अपनी चुनावी गतिविधियाँ रोक दीं। उन्होंने नसरल्लाह को ‘शेर’ बताते हुए कहा, “एक शेर की मौत हो गई है, लेकिन उसकी दहाड़ हमेशा सुनाई देती रहेगी। वह हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।”

कारगिल और लद्दाख में विरोध प्रदर्शन

नसरल्लाह की मौत का असर केवल घाटी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि लद्दाख के कारगिल में भी इसका व्यापक विरोध हुआ। कारगिल, जहां बड़ी संख्या में शिया मुसलमान बसे हुए हैं, में भी प्रदर्शनकारियों ने इजरायल और अमेरिका विरोधी नारे लगाए। हिजबुल्लाह के प्रति शिया समुदाय के समर्थन के चलते कारगिल और घाटी के अन्य क्षेत्रों में भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

जम्मू-कश्मीर में चुनावी माहौल और प्रचार पर असर

जम्मू-कश्मीर में चुनावी माहौल पहले से ही तनावपूर्ण है, और सैयद हसन नसरल्लाह की मौत के बाद यह और गंभीर हो गया है। घाटी के कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपने चुनाव प्रचार को स्थगित कर दिया है, जिससे अंतिम चरण के चुनाव पर असर पड़ सकता है। जम्मू-कश्मीर में अंतिम चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होना है, और इससे पहले रविवार शाम को प्रचार का अंतिम दिन था।

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