फ्लोरिडा चौंकाने वाली खबर: अमेरिका में बेहद ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है. मामला रंगभेद का है या नहीं, यह जांच का विषय है. दरअसल, फ्लोरिडा डेकेयर में रोजा पार्क्स को लेकर होने वाले एक इवेंट के दौरान 2 साल की अश्वेत बच्ची को हथकड़ी पहनाकर ले जाया गया. यह देखकर बच्ची के माता-पिता भी भयभीत हो गए. नागरिक अधिकार समूह NAACP ने मामले की जानकारी मिलने के बाद फ्लोरिडा के चाइल्ड एंड फैमिली डिपार्टमेंट से ओस्सियोला काउंटी के सेंट क्लाउड में बिल्डिंग ब्रेन्स डेकेयर की जांच करने के आदेश दिए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, फ्लोरिडा के एक प्री-स्कूल में 2 साल की एक अश्वेत लड़की को रोजा पार्क्स रीएक्टमेंट में भाग लेने के लिए ले जाया जा रहा था. इस दौरान एक दूसरे बच्चे ने उसे “हथकड़ी” पहनाई. इस घटना की चौंकाने वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं. एनएएसीपी को जब इसका पता चला तो उसने विभाग को लिखे एक पत्र में कहा कि इस महीने की शुरुआत में एक अश्वेत बच्ची के साथ गलत व्यवहार किया गया, उस दौरान उसे एक श्वेत बच्चे की ओर से हथकड़ी लगाई गई थी.
आरोपी महिला टीचर अब भी कर रही काम
डेली मेल के अनुसार, हालांकि ऑनलाइन शेयर की गई घटना की तस्वीरों में बच्चों के चेहरे धुंधले दिख रहे थे, लेकिन असंपादित तस्वीरों में बच्चे स्पष्ट रूप से परेशान दिख रहे थे. बच्ची के माता-पिता ने स्थिति को भयावह बताते हुए उसे स्कूल से निकाल लिया है. घटना में शामिल एक महिला टीचर अब भी वहीं काम कर रही है.
स्कूल ने कहा, अचानक हुई है ये घटना
वहीं, इस मामले में बिल्डिंग ब्रेन्स डेकेयर का कहना है कि जो तस्वीर वायरल हो रही है, उस तरह की गतिविधि की कोई प्लानिंग नहीं की गई थी. यह अचानक हुई एक घटना थी. उस टीचर ने लड़की के माता-पिता से बहुत बार माफी मांगी है. क्लास में किसी भी तरह से उसके साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया था.
घटना के बाद से चुप-चुप रहती है बच्ची
बच्चे के माता-पिता ने सबसे पहले तस्वीरें स्कूल ऐप पर देखीं. उन्होंने मीडिया को बताया, “उसके हाथ उसकी पीठ के पीछे थे और उनमें हथकड़ी लगी थी. उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानों उसे हिरासत में लिया जा रहा हो.” उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद से वह अपनी बेटी में बदलाव देख रहे हैं, वह अब चुप-चुप सी रहती है, जबकि वह काफी चुलबुली है. उन्होंने कहा कि “रोजा पार्क्स की कहानी सिखाने के कई तरीके हैं.”
क्या है रोजा पार्क्स
रोजा पार्क्स एक एफ्रो-अमेरिकी महिला थीं. 1956 में रोजा पार्क्स की काफी लंबी जंग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बसों में होने वाले रंगभेद पर रोक लगाई थी. दरअसल रोजा एक दिन बस में जा रही थीं. उसमें गोरों के लिए आरक्षित 10 सीटों को छोड़कर वे बेठीं, लेकिन एक अन्य गोरे व्यक्ति के आने के बाद उन्हें उस सीट से उठा दिया गया था. रोजा ने इस नियम के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.