व्लादिमीर पुतिन ने की पीएम मोदी की तारीफ: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी की दोस्ती जगजाहिर है. पुतिन आए दिन सार्वजनिक मंचों से पीएम मोदी की तारीफ करते रहते हैं. इसी साल जून में पुतिन ने पीएम मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया था और भारत के मेक इन इंडिया के लिए प्रधानमंत्री की तारीफ भी की थी. उन्होंने कहा था कि भारत अब खुद अपनी कारें बनाता है. इसके अलावा अक्टूबर में भी पुतिन ने कहा था कि पीएम मोदी की अगुवाई में भारत ने विकास की रफ्तार पकड़ ली है और प्रगति की राह पर आगे निकल गया है.
पुतिन ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को भी सराहना की थी और इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार बताया था. इस क्रम में एक बार फिर रूसी राष्ट्रपति ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़े हैं.
‘पीएम मोदी की नीति है गारंटी’
14वें वीटीबी इन्वेस्टमेंट फोरम ‘रशिया कॉलिंग’ में बोलते हुए पुतिन ने कहा, रूस और भारत के संबंध लगातार सभी दिशाओं में विकसित हो रहे हैं और इसकी मुख्य गारंटी प्रधानमंत्री मोदी की नीति है. उन्होंने कहा, “मैं सोच नहीं सकता कि मोदी को भारत के राष्ट्रीय हित, भारतीय लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई या फैसला लेने के लिए डराया, धमकाया या मजबूर किया जा सकता है. मैं जानता हूं, उन पर ऐसा दबाव है. वैसे हमने कभी उनसे इस बारे में बात भी नहीं की. मैं बस बाहर से देख रहा हूं कि क्या हो रहा है और ईमानदारी से कहूं तो कभी-कभी भारतीय लोगों के राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा पर उनके (मोदी) सख्त रुख से मुझे हैरानी भी होती है.”
दोस्ती की वजह?
पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की दोस्ती 22 साल पुरानी है. साल 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और वह पहली बार किसी देश के राष्ट्रपति के साथ आधिकारिक मुलाकात कर रहे थे. इसके बाद साल 2018 में पीएम मोदी रूस के दौरे पर गए थे और वे 2001 की यात्रा का जिक्र कर दोनों के रिश्ते की अहमियत गिना रहे थे. तब से अब तक भारत और रूस की ‘दोस्ती’ बरकरार है.
रूस के राष्ट्रपति के लिए भारत क्यों है अहम?
व्यापार और सांस्कृतिक संबंध से इतर हालिया समय में भारत और रूस के संबंध गहरे हुए हैं. हालांकि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले भी दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध थे. लेकिन नरेंद्र मोदी और पुतिन के व्यक्तिगत रिश्ते भी काफी करीब रहे हैं. यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने खुले तौर पर कभी रूस की निंदा नहीं की. इसके अलावा जी-20 दिल्ली घोषणापत्र में भी भारत ने यूक्रेन युद्ध के लिए रूस पर सीधा-सीधा आंच नहीं आने दिया था.