लखनऊ, उत्तर प्रदेश: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा दाखिल स्टेटस रिपोर्ट को अपर्याप्त मानते हुए गृह मंत्रालय को 10 दिन के भीतर स्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को केवल यह बताना होगा कि “क्या राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं?”

याचिका में नागरिकता को लेकर गंभीर आरोप
जनहित याचिका एस. विग्नेश शिशिर द्वारा दायर की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि राहुल गांधी की नागरिकता संदेहास्पद है। याचिकाकर्ता ने ब्रिटेन सरकार के दस्तावेज और ईमेल को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिका के अनुसार, इस आधार पर उनकी लोकसभा सदस्यता को भी अमान्य ठहराया जाना चाहिए।
कोर्ट ने केंद्र से मांगा तथ्यात्मक जवाब
कोर्ट ने केंद्र सरकार को 10 दिनों का समय देते हुए स्पष्ट किया कि अब तक दी गई रिपोर्ट पर्याप्त नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 5 मई 2025 को निर्धारित की गई है।

पृष्ठभूमि: 2019 में उठ चुका है मामला
यह मुद्दा वर्ष 2019 में भी चर्चा में आया था, जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल गांधी पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने ब्रिटेन की एक कंपनी Backops Limited के दस्तावेजों में खुद को “ब्रिटिश नागरिक” बताया था। हालांकि, उस समय सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि “किसी कंपनी के कागजात में राष्ट्रीयता का उल्लेख, किसी व्यक्ति की वैध नागरिकता का प्रमाण नहीं होता।”