नई दिल्ली, 27 जून, 2024: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के संयुक्त सत्र में अपने अभिभाषण के दौरान 1975 में लगाए गए आपातकाल को भारत के संविधान पर सबसे बड़ा प्रहार करार दिया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान देश में अराजकता का माहौल बन गया था और लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिशें की गई थीं।
आपातकाल: अंधकारमय अध्याय
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा, “आपातकाल संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। उस समय पूरा देश अंधेरे में डूब गया था लेकिन देश ऐसी असंवैधानिक शक्तियों को पराजित करने में सफल रहा।” उन्होंने आगे बताया कि आपातकाल के दौरान देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर गंभीर असर पड़ा था, जिससे भारतीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को खतरा हुआ था।
लोकतंत्र की रक्षा की अपील
राष्ट्रपति मुर्मू ने देश के नागरिकों और नेताओं से लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा, “हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने के हर प्रयास की सभी को निंदा करनी चाहिए। विभाजनकारी ताकतें लोकतंत्र को कमजोर करने, देश के भीतर और बाहर से समाज में खाई पैदा करने की साजिश रच रही हैं।”
सांसदों को नसीहत
सांसदों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज का समय भारत के लिए अनुकूल है और संविधान हमारे लिए जनचेतना का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “नीतियों का विरोध करना और संसद की कार्यवाही बाधित करना अलग-अलग बातें हैं। सभी सदस्यों के लिए जनता का हित सर्वोपरि होना चाहिए।”
CAA पर राष्ट्रपति की राय
अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति मुर्मू ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर भी बात की। उन्होंने कहा कि CAA भारत के संविधान के सिद्धांतों के अनुरूप है और इसके लागू होने से देश के नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा होगी।
#WATCH | President Droupadi Murmu addresses a joint session of both Houses of Parliament, she says "My Government has started giving citizenship to refugees under the CAA law. I wish a better future for the families who have received citizenship under CAA. My Government is… pic.twitter.com/0RpZSA5Vi0
— ANI (@ANI) June 27, 2024