Monday, June 30, 2025
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राम मंदिर की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल नहीं रहे, दिल्ली में हुआ निधन

नई दिल्ली: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया है। वह पिछले एक वर्ष से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में चल रहा था। अगस्त 2024 में उन्हें किडनी का ट्रांसप्लांट भी कराया गया था, लेकिन उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो पाया। अंततः वह अस्पताल में अंतिम सांस ली। कामेश्वर चौपाल के निधन से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शोक की लहर दौड़ गई है।

कामेश्वर चौपाल, जिन्हें संघ ने ‘प्रथम कार सेवक’ का दर्जा दिया था, राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में एक अहम नाम थे। उन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की पहली ईंट रखी थी। इस ऐतिहासिक अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों साधु-संतों और लाखों कार सेवकों की मौजूदगी में वह एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में सामने आए थे। उस समय वह विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के संयुक्त सचिव थे। राम मंदिर के लिए उनका योगदान अमूल्य रहेगा, और उनकी यह कृतज्ञता की स्मृति हमेशा भारतीय समाज के दिलों में रहेगी।

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कामेश्वर चौपाल का जन्म सुपौल जिले के कमरैल गांव में हुआ था। उनका नाम देशभर में राम मंदिर आंदोलन में उनके योगदान के कारण विशेष रूप से जाना जाता है। वह एक सशक्त नेता और समाजसेवी थे। वर्ष 2002 में उन्हें बिहार विधान परिषद का सदस्य नियुक्त किया गया था। उनके नेतृत्व में बिहार में अनेक सामाजिक कार्यों को गति मिली थी।

उनके निधन के बाद बीजेपी, संघ और राम मंदिर आंदोलन से जुड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। बीजेपी के नेताओं ने उनकी कड़ी मेहनत, समाज सेवा और राम मंदिर आंदोलन में उनके योगदान को याद करते हुए शोक व्यक्त किया। पार्टी के अध्यक्ष ने कहा, “कामेश्वर चौपाल के निधन से बीजेपी और संघ परिवार को एक अपूरणीय क्षति हुई है। उनका योगदान हमेशा याद रहेगा।”

राम मंदिर निर्माण के प्रति कामेश्वर चौपाल का योगदान

कामेश्वर चौपाल का नाम विशेष रूप से अयोध्या में राम मंदिर की पहली ईंट रखने के लिए याद किया जाता है। 1989 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान, उन्होंने न केवल इस ऐतिहासिक घटना का हिस्सा बने, बल्कि उन्होंने इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में ही लाखों कार सेवक और साधु संत अयोध्या पहुंचे थे, और उन्होंने मंदिर निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया था।

संघ और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका जीवन संघर्ष और समर्पण का प्रतीक था। उनके निधन से राम मंदिर आंदोलन को एक बड़ा झटका लगा है, लेकिन उनके कार्य और उनकी विरासत हमेशा भारतीय राजनीति और समाज में जीवित रहेगी।

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कामेश्वर चौपाल के निधन से जुड़ी शोकसभाएं और श्रद्धांजलि

कामेश्वर चौपाल के निधन की खबर सुनते ही दिल्ली, बिहार और अयोध्या में शोक की लहर दौड़ गई। बिहार विधान परिषद के कई सदस्यों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। कई अन्य नेता और समाजसेवी भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए।

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