इस्लामाबाद, पाकिस्तान: राम नवमी के मौके पर पूरे देश में धूमधाम से त्योहार मनाया जा रहा है। भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य समारोहों का आयोजन किया गया है। 500 सालों बाद भगवान राम का आज सूर्यतिलक भी किया गया है।
लेकिन इस खुशी के मौके पर कुछ लोगों को पूजा करने की भी इजाजत नहीं है। हम बात कर रहे हैं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की, जहां आज भी हिंदुओं को कई मंदिरों में पूजा करने की इजाजत नहीं है।
इस्लामाबाद की राजधानी में मौजूद एक मंदिर भी उनमें से एक है, जहां हिंदू पूजा नहीं कर सकते हैं।
राम कुंड मंदिर का इतिहास
यह मंदिर इस्लामाबाद के पहाड़ियों में स्थित है और माना जाता है कि इसे 16वीं शताब्दी में बनाया गया था। हिंदू समाज के लोगों के लिए इस मंदिर का काफी महत्व है।
कहा जाता है कि जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास पर निकले थे तो उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ कुछ समय इस जगह पर बिताया था। वहीं मंदिर के बगल में मौजूद कुंड के बारे में लोगों का मानना है कि यहां भगवान राम ने पानी पिया था।
विभाजन के बाद से पाबंदी
देश के बंटवारे से पहले इस जगह पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता था। लेकिन पाकिस्तान के अलग होने के बाद हिंदू इस मंदिर में कभी नहीं जा पाए। इस्लामाबाद के बनने के बाद शुरुआती दौर में इस जगह पर लड़कियों का स्कूल बनाया गया था।
हालांकि इससे वहां के रहने वाले हिंदुओं में काफी गुस्सा देखने को मिला। जिसके बाद स्कूल को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया और परिसर को खाली छोड़ दिया गया। तब से लेकर अब तक वहां पूजा की अनुमति नहीं दी गई।
आज की स्थिति
आज इस मंदिर का जीर्ण-शीर्ण हाल है। कुंड का पानी भी गंदा हो चुका है। वहीं पास में पर्यटन स्थल बनने के कारण परिसर भी काफी गंदा रहता है। इसके बावजूद वहां के रहने वाले हिंदू लोग इस मंदिर के पूर्णनिर्माण की मांग कर रहे हैं।