राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023: राजस्थान के चुनावी रण में इन दिनों के एक नाम सियासी गलियारों में खूब दौड़ रहा है। वह नाम है- राजकुमारी दीया सिंह। वह एक अलग तरह की राजकुमारी हैं। वह जयपुर के पूर्व महाराजा दिवंगत ब्रिगेडियर भवानी सिंह की इकलौती बेटी हैं, जिन्हें 1971 के युद्ध में उनकी वीरता के लिए महावीर चक्र मिला था। प्रिंसेज दीया ने जयपुर के राजमहल में ही काम करने वाले एक कर्मचारी (नरेंद्र सिंह) से शादी कर ली थी। शादी के 21 साल बाद 2019 में दोनों का तलाक हो गया। दीया कुमारी दंपति के तीन बच्चे हैं।
भवानी सिंह ने अपनी बेटी के बेटे (नाती) पद्मनाभ सिंह को गोद ले लिया, जो अपने नाना की मौत के बाद जयपुर के महाराजा बन गए। इधर, दीया कुमारी 2013 में वसुंधरा राजे के कहने पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। वसुंधरा, खुद राजस्थान के धौलपुर की महारानी और ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की बेटी हैं।
दीया कुमारी ने 2013 में सवाई माधोपुर से राजस्थान विधानसभा का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के शक्तिशाली उम्मीदवार रहे डॉ. किरोड़ी लाल मीना को हरा दिया। कृषक आदिवासी मीना समुदाय के नेता किरोड़ी लाल मीना अब भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें मौजूदा विधानसभा चुनाव में सवाई माधोपुर सीट से चुनाव लड़ने को कहा है। दिलचस्प बात है कि अब वही दीया कुमारी मीना के लिए सवाई माधोपुर में वोट मांग रही हैं।
इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में, दीया कुमारी को राजसमंद निर्वाचन सीट से खड़ा किया गया था, जबकि वह अपनी मूल जयपुर सीट से चुनाव लड़ना चाहती थीं। राजसमंद एक जटिल लोकसभा क्षेत्र रहा है, जिसमें चार दूर-दराज के जिलों में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। हालांकि, मोदी लहर में राजकुमारी दीया ने कांग्रेस के देवकीनंदन को 5 लाख 50,000 वोटों के अंतर से बड़ी हार दी।
उनके निर्वाचन क्षेत्र के परबत सिंह रावत ने रैडिफ.कॉम से बातचीत में कहा, “उन्होंने क्षेत्र में कई सड़कों और रेल परियोजनाओं को मंजूरी दिलाई है। वह अपना काम पूरा करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों से मिलती हैं। इससे वह न केवल लोकप्रिय हुईं, बल्कि उनके प्रदर्शन को राजस्थान के 25 लोकसभा सदस्यों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है।”
बहरहाल, दीया कुमारी राष्ट्रीय राजनीति में बने रहना चाहती थीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें फिर से विधानसभा चुनाव में उतार दिया है। भाजपा ने उन्हें जयपुर के विद्याधर नगर निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा है। इस सीट का प्रतिनिधित्व दिवंगत भाजपा दिग्गज भैरों सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी ने तीन बार किया था।
राजवी, जिन्हें वसुंधरा राजे के करीबी के रूप में देखा जाता है, को पहले चुनाव टिकट से वंचित कर दिया गया था, लेकिन फिर चित्तौड़गढ़ से टिकट दिया गया है। यहां से वह एक बार पहले चुनाव जीत चुके हैं। उधर, कांग्रेस ने दीया कुमारी के खिलाफ फिर से एक व्यवसायी सीता राम अग्रवाल को मैदान में उतारा है, जो 2018 के विधानसभा चुनाव में राजवी से बड़े अंतर से हार गए थे। ऐसे में राजकुमारी की जीत तय मानी जा रही है।
कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने अनुमान लगाया है कि यदि भाजपा राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतती है, तो बेहद लोकप्रिय वसुंधरा राजे की जगह दीया कुमारी राज्य की अगली मुख्यमंत्री हो सकती हैं, क्योंकि वसुंधरा नरेंद्र मोदी और अमित शाह की विश्वासपात्रों की सूची में नहीं हैं।
हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या आप मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं? तो उन्होंने इसे एक काल्पनिक प्रश्न कहते हुए कहा कि मीडिया अपनी सुर्खियाँ बनाने के लिए अक्सर ऐसा पूछता है। वैसे उन्होंने कहा कि नतीजे आने के बाद बीजेपी नेतृत्व तय करेगा कि राज्य में सरकार का नेतृत्व कौन करेगा।
स्त्रोत – Live Hindustan न्यूज़