राजस्थान की राजनीति में नए मोड़ आ रहे हैं। पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने 6 साल बाद बीजेपी में अपनी वापसी की है। इस घर वापसी का श्रेय बीजेपी की डिप्टी सीएम दीया कुमारी को दिया जा रहा है।
सियासी जानकारों के अनुसार, दीया कुमारी ने मानवेंद्र सिंह की बीजेपी में लाने की पटकथा तैयार की है। मानवेंद्र सिंह ने 2018 में बीजेपी छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इस तरह की राजनीतिक अदावत राजस्थान में वसुंधरा राजे और दीया कुमारी के बीच भी है।
दीया कुमारी ने वसुंधरा राजे के धुर विरोधी पार्टी में शामिल करके बड़ा सियासी गेम खेला है। जानकारों के मुताबिक वह चाहती हैं कि वसुंधरा राजे के विरोधी पार्टी में शामिल होकर सियासी तौर पर उन्हें कमजोर किया जाए।
दीया कुमारी और वसुंधरा राजे के बीच नजरबंदी की अदावत जगजाहिर है। सियासी जानकारों का मानना है कि वसुंधरा राजे के समर्थकों को टिकट नहीं मिला विधानसभा चुनाव 2023 में, जो कि उनके विरोधी नेताओं के विरोध की वजह से है।
दीया कुमारी ने अपनी इस चाल से यह संदेश दिया है कि वह राजपूत समाज की अग्रणी नेता हैं। राजस्थान की राजनीति में सतीश पूनिया, गजेंद्र सिंह शेखावत, दीया कुमारी और राजेंद्र राठौड़ वसुंधरा विरोधी कैंप के महत्वपूर्ण नेता माने जाते हैं।
वसुंधरा राजे की भूमिका भी इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण है। दीया कुमारी ने वसुंधरा राजे को प्रचार में समर्थन देने की घोषणा की है, जो उनकी पहली घोषणा थी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी ने वसुंधरा राजे को चिढ़ाने का काम किया है और इससे भी वह अपनी बढ़त बनाए रखना चाहती है। जसवंत सिंह और वसुंधरा राजे के बीच अदावत भी रही है, जिसका असर जसवंत सिंह के लोकसभा टिकट पर पड़ा।