Friday, June 20, 2025
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रक्षाबंधन 2024: भद्रा के बावजूद मनाएं पर्व, जानें शुभ मुहूर्त और विधि

रक्षाबंधन 2024: रक्षाबंधन का पवित्र पर्व इस वर्ष 19 अगस्त, सोमवार को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले इस त्योहार का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

द्रौपदी और कृष्ण की कहानी: रक्षा सूत्र की परंपरा का आरंभ

रक्षाबंधन की परंपरा की शुरुआत द्रौपदी और भगवान कृष्ण की कहानी से मानी जाती है। राजसूय यज्ञ के समय, द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। तभी से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा चली आ रही है।

भद्रा काल और उसका प्रभाव: ज्योतिषाचार्य की राय

इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा काल लगने की वजह से लोग थोड़े चिंतित हैं। बहनों को इस बात की चिंता है कि भद्रा के चलते वे कब और कैसे भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी। आज तक न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ज्योतिषाचार्य डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा ने बताया है कि इस बार भद्रा काल का पृथ्वी लोक पर कोई प्रभाव नहीं रहेगा।

डॉ. शर्मा के अनुसार, रक्षाबंधन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष पूर्णिमा 19 अगस्त को रात 11.55 तक रहेगी। इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार भी इसी दिन मान्य है। भद्रा 19 अगस्त को दोपहर 01.33 बजे तक रहेगी। लेकिन चंद्रमा के मकर राशि में होने के कारण भद्रा का निवास पाताल लोक में रहेगा। इसलिए धरती के किसी शुभ कार्य पर भद्रा का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

राहुकाल और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन के दिन राहुकाल भी लगने वाला है। इस दिन सुबह 7:31 बजे से लेकर सुबह 9:08 बजे तक राहुकाल रहेगा। राखी बांधने का सबसे अच्छा मुहूर्त दोपहर 01:46 बजे से शाम 04:19 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, आप शाम को प्रदोष काल में भी भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। प्रदोष काल शाम 06:56 बजे से रात 09:07 बजे तक रहेगा।

रक्षाबंधन की विधि: कैसे मनाएं पर्व?

रक्षाबंधन के दिन सुबह स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। फिर ईश्वर की आराधना के बाद एक थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें। घी का एक दीपक भी प्रज्वलित करें। रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर एक चौकी पर बैठाएं। पहले भाई को तिलक लगाएं, फिर रक्षा सूत्र बांधें। इसके बाद उसकी आरती उतारें और मिठाई खिलाकर भाई की मंगल कामना करें।

ध्यान रहे कि रक्षासूत्र बांधते समय भाई और बहन का सिर खुला नहीं होना चाहिए। रक्षा बंधवाने के बाद माता-पिता या गुरुजनों का आशीर्वाद लेना न भूलें। तत्पश्चात, बहन को सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें। उपहार में ऐसी वस्तुएं दें जो दोनों के लिए मंगलकारी हों। काले वस्त्र या नुकीली-धारदार वस्तुएं भेंट करने से बचें।

रक्षाबंधन का महत्व: संस्कृति और परंपरा

रक्षाबंधन न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि यह त्योहार हमारी संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतीक है। यह पर्व हमें अपने परिवार और रिश्तों की अहमियत को समझने का अवसर प्रदान करता है।

इस साल, भद्रा काल के बावजूद, आप निसंकोच अपने भाई को राखी बांध सकते हैं और इस पवित्र पर्व का आनंद उठा सकते हैं।

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