Thursday, November 21, 2024
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माता-पिता ने खुद भिखारी बनकर 120 दिनों में ढूंढ निकाले लापता बेटे, बाबा बागेश्वर ने की मदद, पुलिस रही बेबस

पटना, बिहार: बॉलीवुड फिल्मों में आपने देखा होगा कि पुलिस भिखारियों की मदद से अपराधियों का सुराग ढूंढती है। लेकिन, यहां मामला उल्टा है। गुजरात के मुंद्रा-कच्छ में रहने वाले जयकिशन सहनी और उनकी पत्नी ने अपने दो लापता बेटों को ढूंढने के लिए खुद ही भिखारी बनकर देशभर में भटकने का रास्ता अपनाया। 120 दिनों की कड़ी मशक्कत और भिखारियों से मिले सुरागों की मदद से उन्होंने राजस्थान और पश्चिम बंगाल से अपने बेटों को ढूंढ निकाला।

खेलने गए और लौटे नहीं

बिहार के हाजीपुर के जयकिशन सहनी अपनी पत्नी और दोनों बेटों के साथ कई वर्षों से गुजरात के मुंद्रा-कच्छ में रहकर जीवन यापन करते हैं। जयकिशन सहनी के 11 और 14 साल के दो बेटे इस साल जनवरी में घर से खेलने की बात कहकर निकले, लेकिन वापस नहीं लौटे। परेशान पिता ने स्थानीय थाने में अपहरण का केस दर्ज कराया और खुद भी खोज में जुट गए।

बाबा बागेश्वर से मिला सहारा

बेटों का पता लगाने के लिए जयकिशन बागेश्वर धाम गए। वहां अर्जी लगाई तो बागेश्वर सरकार ने कहा कि उनका बेटा भागलपुर में है। भागलपुर पहुंचे तो बेटा नहीं मिला, लेकिन रेलवे स्टेशन पर उन्हें बड़े बेटे के पूर्णिया में होने का सुराग मिला। वहां पहुंचने पर पता चला कि पुलिस ने उसे चाइल्डकेयर होम भेज दिया है। लेकिन, वहां से वह भाग गया था।

भिखारी बनकर जुटाए सुराग

यह जानकर कि उनका बेटा भिखारियों के संपर्क में है, जयकिशन खुद भी भिखारी बनकर शहर-दर-शहर घूमने लगे। 105 दिनों तक उन्होंने महाराष्ट्र, मुंबई, बंगाल, मध्य प्रदेश, गोवा और नेपाल तक भटकते हुए भिखारियों से जानकारी जुटाई। इसी दौरान उन्हें पता चला कि उनका बेटा राजस्थान के बीकानेर में है। वहां पुलिस से संपर्क कर उन्होंने बड़े बेटे को ढूंढ निकाला।

छोटे बेटे का भी पता चला

बड़े बेटे को साथ लेकर 15 दिन और भटकने के बाद जयकिशन को छोटे बेटे के हावड़ा में होने का पता चला। वहां पहुंचने पर पता चला कि पुलिस ने उसे चाइल्ड होम भेज दिया है। चाइल्ड होम पहुंचकर उन्होंने अपने छोटे बेटे को भी गले लगा लिया।

पुलिस रही बेबस

इस पूरी घटना में पुलिस पूरी तरह बेबस नजर आई। जयकिशन के बेटे 120 दिनों तक लापता रहे, लेकिन पुलिस उनका पता लगाने में नाकाम रही। अंततः जयकिशन और उनकी पत्नी की हिम्मत और हार न मानने की भावना ने ही उन्हें अपने बेटों से मिलाया।

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