महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में महायुति सरकार गठन के साथ ही उपमुख्यमंत्री अजित पवार को बड़ी राहत मिली है। आयकर विभाग ने 2021 में जब्त की गई 1000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को मुक्त करने का निर्णय लिया है। यह कदम बेनामी संपत्ति लेनदेन रोकथाम अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा उन पर और उनके परिवार पर बेनामी संपत्ति के स्वामित्व के आरोपों को खारिज किए जाने के बाद उठाया गया है। यह राहत उनके उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद आई है, जो 28 नवंबर 2024 को हुई थी।
आयकर विभाग द्वारा जब्त की गई संपत्तियों का मामला
आयकर विभाग ने 7 अक्टूबर 2021 को अजित पवार और उनके परिवार से जुड़े कई ठिकानों पर छापे मारे थे। इस दौरान सतारा में एक चीनी मिल, दिल्ली में एक फ्लैट और गोवा में एक रिसॉर्ट सहित कई संपत्तियों को जब्त किया गया था। आरोप था कि ये संपत्तियां अजित पवार के नाम पर पंजीकृत नहीं थीं, लेकिन पवार और उनके परिवार के पास इनका स्वामित्व था, जो कि बेनामी संपत्ति के रूप में माना गया था। इस मामले में अजित पवार पर बेनामी संपत्तियां रखने का आरोप लगाया गया था, लेकिन जांच में यह बात सामने आई कि इन संपत्तियों के स्वामित्व का कोई प्रमाण अजित पवार के नाम पर नहीं था।
न्यायाधिकरण का निर्णय: आरोपों को खारिज किया
बेनामी संपत्ति लेनदेन रोकथाम अपीलीय न्यायाधिकरण ने मामले की सुनवाई के बाद पवार और उनके परिवार के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया। न्यायाधिकरण ने यह स्पष्ट किया कि आरोपों के समर्थन में पर्याप्त सबूत नहीं हैं और इन संपत्तियों के लिए वैध वित्तीय मार्गों का उपयोग करके भुगतान किया गया था। न्यायाधिकरण ने कहा कि आयकर विभाग पवार परिवार और बेनामी संपत्तियों के बीच कोई संबंध स्थापित करने में विफल रहा है।
न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में यह भी कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अजित पवार या उनके परिवार ने इन संपत्तियों को हासिल करने के लिए धन हस्तांतरित किया था। इसके अलावा, न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि अजित पवार, सुनेत्रा पवार और पार्थ पवार के खिलाफ कोई अनियमितता या गलत काम नहीं पाया गया।
पवार परिवार का बयान: आरोपों का कोई कानूनी आधार नहीं
अजित पवार और उनके परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रशांत पाटिल ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आरोपों का कोई कानूनी आधार नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन संपत्तियों को हासिल करने के लिए लेन-देन बैंकिंग प्रणाली सहित वैध चैनलों के माध्यम से किया गया था और रिकॉर्ड में कोई अनियमितता नहीं है। पाटिल ने कहा कि पवार परिवार ने कुछ भी गलत नहीं किया है और न्यायिक प्रणाली ने उनकी स्थिति को सही तरीके से पहचाना है।
आने वाला राजनीतिक और कानूनी प्रभाव
यह फैसला महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया है, खासकर जब अजित पवार उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं। उनके खिलाफ चल रहे कानूनी मामलों में यह राहत एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है। इस फैसले ने न केवल पवार परिवार के लिए राहत का काम किया है, बल्कि इससे महाराष्ट्र की महायुति सरकार को भी राजनीतिक दृष्टि से एक नई ताकत मिल सकती है।