Monday, June 9, 2025
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महाराष्ट्र की सियासत में हलचल: उद्धव और राज ठाकरे के संभावित गठबंधन पर फडणवीस बोले – “बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बनने का शौक नहीं”

महाराष्ट्र: महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों एक दिलचस्प मोड़ पर आ खड़ी हुई है। दशकों से एक-दूसरे से अलग राह पर चल रहे ठाकरे बंधु – उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे – अब एक संभावित राजनीतिक गठबंधन की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। बीते दिनों शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र ‘सामना’ में दोनों भाईयों की एक साथ छपी तस्वीर ने सियासी हलकों में खलबली मचा दी।

इस तस्वीर के साथ उद्धव ठाकरे का एक बयान प्रमुखता से छापा गया, जिसमें उन्होंने कहा – “जो जनता चाहेगी वही होगा।” इस टिप्पणी ने राजनीतिक पर्यवेक्षकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या महाराष्ट्र में ठाकरे बंधुओं के पुनर्मिलन का दौर शुरू हो चुका है?

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फडणवीस का तंज: “अभी प्रतिक्रिया देने का समय नहीं”

मीडिया से बातचीत के दौरान जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस संभावित गठबंधन पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इसे टालते हुए चुटकी ली। उन्होंने कहा:

“मुझे ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ बनने का कोई शौक नहीं है। ये दोनों भाई हैं, दोनों की पार्टी है। अगर गठबंधन होता है तो हम उस समय प्रतिक्रिया देंगे। अभी तो केवल कयास ही हैं।”

फडणवीस ने यह भी जोड़ा कि मीडिया इस विषय पर जोरों से चर्चा कर रहा है लेकिन सरकार की तरफ से इस पर कोई टिप्पणी करना जल्दबाज़ी होगी।

गठबंधन की अटकलों के पीछे का कारण

इस साल अप्रैल में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने फिल्म निर्देशक महेश मांजरेकर के यूट्यूब चैनल पर एक साक्षात्कार में शिवसेना-मनसे गठबंधन की संभावना को हवा दी थी। उन्होंने कहा था:

“हमारे विवाद बहुत छोटे हैं। महाराष्ट्र बहुत बड़ा है, और हमारे झगड़े किसी बड़े उद्देश्य के सामने तुच्छ हैं।”

इसी के कुछ दिन बाद उद्धव ठाकरे का भी यह बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा:

“जनता के मन में जो होगा, वही हम करेंगे।”

इन बयानों ने राजनीतिक विश्लेषकों और मीडिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या ठाकरे बंधु आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एकजुट हो सकते हैं?

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राजनीतिक विश्लेषण:

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि शिवसेना (UBT) और मनसे एकजुट होते हैं, तो यह गठबंधन महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा समीकरण बदल सकता है।

  • शिवसेना (UBT) की पकड़ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बनी हुई है।
  • मनसे का असर खासकर मुंबई, ठाणे और नासिक में मराठी वोट बैंक पर है।

संभावित गठबंधन से भाजपा और एनसीपी (अजित पवार गुट) को रणनीतिक रूप से नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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