सीकर, राजस्थान: पिछले दिनों डासना देवी मंदिर के महंत यती नरसिंहानंद सरस्वती द्वारा दिए गए विवादित बयान ने देशभर में विरोध की लहर पैदा कर दी है। खासकर उनकी ओर से पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी के बाद मुस्लिम समुदाय में भारी आक्रोश व्याप्त है। इस क्रम में सीकर जिले के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आज शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज करते हुए मौन जुलूस निकाला।
मौन जुलूस का आयोजन
सीकर में यह मौन जुलूस शहर के प्रमुख ईदगाह चौराहे से शुरू हुआ और बजाज रोड, कल्याण सर्किल होते हुए कलेक्ट्रेट तक पहुंचा। जुलूस में हजारों मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हुए, जिनमें प्रमुख रूप से नगर परिषद सभापति जीवण खां भी उपस्थित रहे। इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन का उद्देश्य महंत यती नरसिंहानंद द्वारा दिए गए बयान के खिलाफ विरोध जताना और सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करना था कि इस तरह की असहनीय और आपत्तिजनक टिप्पणियां देश की साम्प्रदायिक एकता को खतरे में डाल सकती हैं।
राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन
जुलूस के अंत में प्रदर्शनकारियों ने कलेक्टर मुकुल शर्मा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि महंत यती नरसिंहानंद पर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की भड़काऊ और अपमानजनक टिप्पणियों को रोका जा सके। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि इस तरह की आपत्तिजनक बयानबाजी से न केवल मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है, बल्कि देश की शांति और स्थिरता भी प्रभावित होती है।
टिप्पणी के खिलाफ गुस्सा
मौन जुलूस में शामिल लोगों ने महंत यती नरसिंहानंद द्वारा दिए गए बयान को “बेहूदा” और “अशोभनीय” करार दिया। उनका कहना था कि सरस्वती द्वारा की गई टिप्पणियां पूरी तरह से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली हैं और यह एक सुनियोजित साजिश के तहत मुसलमानों के खिलाफ साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की जा रही है। प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना था कि यह पहला मौका नहीं है जब महंत यती नरसिंहानंद ने इस तरह के बयान दिए हों, बल्कि वे कई बार इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते आए हैं।
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सख्त कार्रवाई की मांग
जुलूस में शामिल लोगों ने सरकार से महंत यती नरसिंहानंद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उनका कहना था कि इस तरह के बयान देने वाले लोगों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी धर्म या उनके महापुरुषों के खिलाफ कोई भी अपमानजनक टिप्पणी करने से पहले लोग सौ बार सोचें। इसके अलावा, इस तरह की घटनाओं से समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचता है और इससे देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ सकती है।