नई दिल्ली: संघ प्रमुख मोहन भागवत के “हर मस्जिद में मंदिर ढूंढने की जरूरत नहीं” वाले बयान पर हिंदू संगठनों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इस कड़ी में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता सुरेंद्र जैन ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि “पूरी दुनिया जानती है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत में लाखों मंदिरों को तोड़ा और उनके स्थान पर मस्जिदें बनाई।”
1984 का प्रसंग और विवाद की जड़
मीडिया से बात करते हुए सुरेंद्र जैन ने कहा, “1984 में भारत के संतों ने मुस्लिम समाज को एक बेहद अच्छा प्रस्ताव दिया था कि वे हमें अयोध्या, मथुरा और काशी जैसे तीन प्रमुख स्थान दे दें। हम बाकी स्थानों को भूलने के लिए तैयार थे। लेकिन वर्तमान परिस्थिति के लिए मुस्लिम नेतृत्व जिम्मेदार है। अयोध्या का विवाद हमने संघर्ष के जरिए सुलझाया है। यदि मुस्लिम समाज उस समय आगे आता तो यह विवाद टल सकता था।” उन्होंने आगे कहा कि “यदि मथुरा और काशी को हमें सौंप दिया जाता है, तो हम समाज के जागरूक वर्ग को भी समझा सकते हैं कि हर स्थान पर ऐसा अभियान चलाना संभव नहीं है।”
मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया
सुरेंद्र जैन ने मोहन भागवत के बयान पर सहमति जताई, लेकिन साथ ही जोड़ा, “भागवत जी ने जो कहा, वह सभी के लिए है। अगर कोई मामला कोर्ट में है, तो उसका निर्णय अदालत से होने दीजिए। धमकियों और ‘सर तन से जुदा’ जैसे नारे देकर समस्या को हल नहीं किया जा सकता। न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मोहन भागवत के बयान के बावजूद हिंदू समाज अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा, “मुस्लिम समाज के पास अब भी अवसर है कि वह मथुरा और काशी को हिंदू समाज को सौंपकर सद्भाव और सौहार्द की मिसाल कायम करे।”
मंदिरों की स्वतंत्रता पर जोर
विहिप नेता ने भारत में मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, “भारत में कोई भी मस्जिद या चर्च सरकार के नियंत्रण में नहीं है, लेकिन हिंदू मंदिरों को अधिग्रहित कर लिया गया है। अकेले तमिलनाडु में 400 से अधिक मंदिर सरकार के कब्जे में हैं। यह संविधान का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन बार फैसला दिया है कि मंदिरों की संपत्तियों के संचालन से सरकार का कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए।”