मणिपुर हिंसा: मणिपुर में जारी हिंसा और तनावपूर्ण स्थिति ने देशभर का ध्यान आकर्षित किया है। राज्य में बढ़ती हिंसा के चलते केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी महाराष्ट्र की चुनावी रैलियों को रद्द कर दिल्ली लौटने का निर्णय लिया। दिल्ली में शाह ने गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर मणिपुर की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने राज्य में शांति बहाल करने और हिंसा को रोकने के लिए त्वरित कदम उठाने के निर्देश दिए।
मणिपुर में बढ़ती हिंसा और कर्फ्यू के हालात
शनिवार की रात को हुई घटनाओं ने राज्य की स्थिति को और गंभीर बना दिया। आतंकियों द्वारा निर्दोष लोगों की हत्या के बाद उग्र भीड़ ने राज्य के वरिष्ठ मंत्रियों और विधायकों के घरों पर हमला कर आग लगा दी। इन हमलों में भाजपा के तीन और कांग्रेस के एक विधायक के घरों को नुकसान पहुंचा। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के पैतृक घर पर भी हमले की कोशिश की गई, जिसे सुरक्षा बलों ने विफल कर दिया।
अफस्पा लागू करने और सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश
पिछले चार दिनों में गृह मंत्रालय ने मणिपुर के विभिन्न क्षेत्रों में आर्म्स फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) लागू करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही सुरक्षा बलों को हिंसा रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाने का आदेश दिया गया है। अमित शाह सोमवार को भी अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और स्थिति को और बेहतर बनाने के उपायों पर चर्चा करेंगे।
एनपीपी ने भाजपा से समर्थन वापस लिया
मणिपुर में हिंसा के कारण नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने भाजपा के नेतृत्व वाली बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। एनपीपी ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर राज्य सरकार की नीतियों और हालात को नियंत्रित करने में विफलता पर कड़ी नाराजगी जताई। पार्टी के अनुसार, राज्य में स्थिति अत्यंत खराब हो चुकी है, जिसमें कई निर्दोष लोग मारे गए हैं और लोग असहनीय पीड़ा का सामना कर रहे हैं।
मणिपुर विधानसभा की स्थिति
मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं, जिसमें एनपीपी के सात विधायक शामिल हैं। एनपीपी के समर्थन वापस लेने से भाजपा के लिए राज्य में राजनीतिक संकट और बढ़ गया है।