हिमाचल प्रदेश, शिमला: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने रविवार को हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक बड़ा और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बयान दिया, जिससे भारत-पाकिस्तान संबंधों और सीमाओं को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। उन्होंने संकेत दिया कि आने वाले समय में भारत-पाकिस्तान की सीमा में बड़ा परिवर्तन हो सकता है और यह कच्छ से लेकर लद्दाख तक 100 से 150 किलोमीटर तक पाकिस्तान के अंदर खिसक सकती है।
भारत-पाक सीमा के भविष्य पर दिया बड़ा बयान
इंद्रेश कुमार ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि,
“एक बात का इंतजार कीजिए, ऐसा भी हो सकता है कि भारत-पाकिस्तान की सीमा कच्छ और लद्दाख से 100-150 किमी पाकिस्तान के अंदर खिसक जाए। उस समय एक ओर पाकिस्तान रहेगा और दूसरी ओर वे हिस्से जो आज पाकिस्तान के कब्जे में हैं, लेकिन स्वतंत्रता या भारत से जुड़ाव की मांग करेंगे – जैसे PoK, बलूचिस्तान, सिंध, गिलगित-बाल्टिस्तान।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK), सिंध, बलूचिस्तान, गिलगित-बाल्टिस्तान और पख्तूनिस्तान जैसे क्षेत्र इस्लामाबाद सरकार के खिलाफ बगावत कर सकते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि इन क्षेत्रों की जनता भारत के साथ विलय की ओर भी बढ़ सकती है या स्वतंत्रता की राह अपना सकती है।
चीन पर भी साधा निशाना: बौद्ध संस्कृति को मिटाने की साजिश
इंद्रेश कुमार ने चीन पर आरोप लगाया कि वह तिब्बत और कैलाश मानसरोवर पर अवैध कब्जे के बाद अब हिमालय क्षेत्र में बौद्ध समुदाय की पहचान मिटाने की साजिश कर रहा है। उन्होंने पीटीआई से बातचीत में दावा किया कि:
“चीन तिब्बत पर कब्जे के बाद अब तिब्बती लड़कियों की जबरन चीनी युवकों से शादी करवा रहा है। हिमालयी बौद्धों की संस्कृति और धार्मिक पहचान को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि चीन की ओर से दलाई लामा के उत्तराधिकारी की घोषणा का विश्व स्तर पर विरोध किया जाना चाहिए। शिमला दौरे के दौरान उन्होंने लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों के तिब्बती मठों का दौरा कर बौद्ध और सनातन समुदाय को एकजुट रहने का आह्वान किया।
धर्म परिवर्तन और आतंकवाद पर चेतावनी
इंद्रेश कुमार ने धर्म परिवर्तन और आतंकवाद के मुद्दे पर भी सख्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि:
“धर्मांतरण मानवता का पतन है, न कि प्रगति। इससे व्यक्ति की पहचान, नाम और संस्कृति बदल जाती है, जिससे समाज में दरार आती है।”
आतंकवाद के खिलाफ उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म को आतंक से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, लेकिन उन्होंने उन लोगों की आलोचना की जो आतंकवादियों के समर्थन में जनाजे निकालते हैं या उन्हें ‘शहीद’ कहते हैं।

नेहरू और कांग्रेस पर कसा तंज
उन्होंने कहा कि तिब्बत, कैलाश और अक्साई चिन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को खोने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस की गलत नीतियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि इन भूभागों पर चीन का कब्जा अवैध है और भारत को इस पर सख्त नीति अपनानी चाहिए।
सीमा क्षेत्र में भारतीय उपस्थिति को बताया ज़रूरी
शिपकी-ला पास पर बढ़ते भारतीय पर्यटकों की उपस्थिति का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि यह सीमाओं की रक्षा में सहायक है।
“जब भारतीय पर्यटक सीमा देखेंगे जो वास्तव में तिब्बत की है लेकिन चीन ने हड़प रखी है, तो स्वाभाविक रूप से रोष उत्पन्न होगा।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि चीन द्वारा बनाई गई सीमा वास्तविक नहीं है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर विरोध जताना चाहिए।