नई दिल्ली: लंबे तनाव और सैन्य गतिरोध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार को अचानक सीजफायर पर सहमति बनने से देश की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। सरकार के इस अप्रत्याशित निर्णय पर जहां एक ओर राहत की भावना देखने को मिली, वहीं विपक्षी दलों ने इसे लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग तेज कर दी है।
विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया, विशेष सत्र की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पार्टी पहले से ही यह मांग कर रही थी कि इस पूरे घटनाक्रम पर संसद में खुलकर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा,

“अगर विशेष सत्र बुलाया जाता है, तो संसद में सभी पक्ष मिलकर देश को वास्तविक स्थिति से अवगत करा सकते हैं। हमने पहले ही सरकार को समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन बाकी मुद्दों पर भी चर्चा आवश्यक है।”
ट्रंप के ट्वीट से जुड़े सवाल पर खड़गे ने टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि युद्धविराम एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसकी घोषणा किसने की — इस पर बात करना अभी जरूरी नहीं है।
राहुल गांधी ने पीएम को पत्र लिखा
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर औपचारिक रूप से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा:
“पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और युद्धविराम जैसे गंभीर विषयों पर संसद में चर्चा होना आवश्यक है। यह न केवल जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है, बल्कि आने वाली चुनौतियों के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।”
राहुल गांधी ने यह भी याद दिलाया कि युद्धविराम की घोषणा सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा की गई थी, जिससे यह मामला अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी गंभीरता से देखा जा रहा है।
सेना को सम्मानित करने की मांग
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि भारतीय सेना ने एक बार फिर साबित किया है कि वह देश की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने कहा:
“हमने सोशल मीडिया के माध्यम से पीएम से विशेष सत्र बुलाने और सेना को सम्मानित करने की अपील की है।”
उन्होंने साथ ही कहा कि अभी सीजफायर हुआ है, इसलिए फिलहाल इस पर कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए।

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि विपक्ष की सामूहिक मांग है कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर 22 अप्रैल से 10 मई 2025 के बीच हुए सभी घटनाक्रमों पर विस्तार से चर्चा की जाए। उन्होंने कहा:
“पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर, और पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई जैसे विषय जनता के हित से जुड़े हैं। इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”