पाकिस्तान: भारत के साथ लगातार बढ़ते तनाव और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की खुफ और घबराहट साफ नज़र आ रही है। 26 लोगों की जान लेने वाले इस हमले के बाद पाकिस्तान ने आधी रात को एक बड़ा और चौंकाने वाला कदम उठाते हुए अपनी खुफिया एजेंसी ISI के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) बना दिया है।
यह नियुक्ति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि पाकिस्तान को अब अपनी सेना की क्षमता पर भरोसा नहीं रहा और वह देश की सुरक्षा नीति की कमान अब सीधे अपने जासूसी तंत्र के हाथों में सौंप चुका है।

भारत के जवाबी हमले के डर से बदली रणनीति
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आत्मघाती हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि भारत द्वारा कड़ा जवाब दिए जाने की आशंका से घबराकर पाकिस्तान ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे में बड़ा फेरबदल किया है।
सोमवार देर रात इस्लामाबाद से जारी किए गए एक गुप्त लेकिन प्रभावशाली नोटिफिकेशन में आईएसआई प्रमुख को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाए जाने की पुष्टि की गई।
ISI का बढ़ता वर्चस्व, सेना को दरकिनार किया गया
पाकिस्तान में यह पहली बार नहीं है जब खुफिया एजेंसी को सेना से ऊपर प्राथमिकता दी गई हो, लेकिन यह फैसला विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान सरकार अब अपनी सुरक्षा नीतियों का संचालन सेना के बजाय आईएसआई से कराना चाहती है।
यह बदलाव संकेत देता है कि अब पाकिस्तान की भारत नीति, आतंकी रणनीति और आंतरिक सुरक्षा सीधे आसिम मलिक की निगरानी में चलेगी — यानी एक जासूसी नेटवर्क अब पूरे देश की सुरक्षा का केंद्र बिंदु होगा।

कौन है लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक?
आईएसआई प्रमुख मुहम्मद आसिम मलिक पाकिस्तान सैन्य अकादमी के 80वें लॉन्ग कोर्स के टॉपर रह चुके हैं और उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है।
- उन्होंने अमेरिका के फोर्ट लेवनवर्थ और ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज़ से उच्च स्तरीय सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
- सितंबर 2024 से वह ISI के निदेशक हैं।
- बलूचिस्तान और वजीरिस्तान जैसे अस्थिर क्षेत्रों में सैन्य अभियानों का नेतृत्व कर चुके हैं।
आसिम मलिक को भारत विरोधी नीति का समर्थक माना जाता है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को प्रोत्साहन देने वाली नीतियों के पीछे उन्हें ही रणनीतिकार माना जाता है।
पहलगाम हमले के पीछे ISI की साजिश?
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आत्मघाती हमले में आईएसआई की सक्रिय भूमिका थी। हमले की रणनीति, टेरर फंडिंग और ऑपरेशनल समर्थन सभी में आईएसआई के हस्तक्षेप के संकेत मिले हैं।
इस संदर्भ में आसिम मलिक की NSA के रूप में नियुक्ति भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है। यह कदम इस ओर भी इशारा करता है कि पाकिस्तान भविष्य में और अधिक गोपनीय, अप्रत्याशित और आक्रामक रणनीतियों को अपनाने वाला है।