Saturday, June 21, 2025
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भारत की पहली मिडगेट पनडुब्बी “एरोवाना” तैयार: रक्षा क्षमताओं में हुई अभूतपूर्व वृद्धि

नई दिल्ली: भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करते हुए आज अपनी पहली मिडगेट पनडुब्बी “एरोवाना” का अनावरण किया। मझगांव डॉक शिपयार्ड लिमिटेड (MDL) द्वारा डिजाइन और निर्मित, यह पनडुब्बी न केवल भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि देश की अंडरवाटर युद्ध क्षमताओं में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।

प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट के रूप में विकसित

एरोवाना को एक प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (POC) के रूप में विकसित किया गया है, जो यह दर्शाता है कि भारत स्वदेशी रूप से अत्याधुनिक पनडुब्बियां बनाने में सक्षम है। यह पनडुब्बी न केवल समुद्री जांच और निगरानी के लिए उपयोगी होगी, बल्कि यह गुप्त कमांडो ऑपरेशन और दुश्मन के जहाजों पर हमले करने में भी सक्षम होगी।

गहरे और छिछले पानी में गोता लगाने में सक्षम

एरोवाना गहरे और छिछले पानी दोनों में गोता लगाने और तैरने में सक्षम है। यह इसे भारतीय नौसेना के युद्धपोतों और अन्य पनडुब्बियों के साथ नेटवर्क बनाने और विभिन्न प्रकार के मिशन को अंजाम देने की अनुमति देता है। यह पनडुब्बी स्टील्थ तकनीक से लैस है और अत्यधिक गतिशील है, जो इसे दुश्मन के लिए पता लगाना मुश्किल बनाता है।

मुख्य विशेषताएं:

  • लंबाई: 12 मीटर
  • गति: 2 नॉट
  • चालक दल: 1
  • बैटरी: लिथियम आयन
  • प्रेशर हल: स्टील
  • स्टीयरिंग: स्टीयरिंग कंसोल
  • हथियार: टॉरपीडो, समुद्री बारूदी सुरंगें, स्विमर डिलिवरी व्हीकल

भारतीय नौसेना की योजनाएं

भारतीय नौसेना दो मिडगेट पनडुब्बियों का अधिग्रहण करने की योजना बना रही है, जिसके लिए ₹2000 करोड़ खर्च किए जाएंगे। इनका उपयोग MARCOS कमांडो द्वारा किया जाएगा।

मिडगेट पनडुब्बियों का महत्व

मिडगेट पनडुब्बियां छोटी, गतिशील और अत्यधिक कुशल होती हैं, जो उन्हें गुप्त ऑपरेशनों और तटीय युद्ध के लिए आदर्श बनाती हैं। इनका उपयोग दुश्मन के जहाजों पर हमला करने, टोही मिशन चलाने और समुद्री बारूदी सुरंगें लगाने के लिए किया जा सकता है।

नागरिक अनुप्रयोग

मिडगेट पनडुब्बियों का उपयोग केवल सैन्य उद्देश्यों के लिए ही नहीं किया जाता है, बल्कि इनका उपयोग ऑफशोर रखरखाव, अनुसंधान और पर्यटन जैसे नागरिक कार्यों के लिए भी किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

एरोवाना भारत की एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि है और यह देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह पनडुब्बी न केवल भारतीय नौसेना की क्षमताओं को दर्शाती है, बल्कि यह भारत को अंडरवाटर युद्ध में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित करती है।

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