नई दिल्ली: भारत ने वैश्विक आर्थिक मंच पर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए जापान को पछाड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त कर लिया है। यह जानकारी नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने शनिवार को मीडिया को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अब 4 ट्रिलियन डॉलर को पार कर चुकी है।

नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद बड़ा ऐलान
दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा:
“वर्तमान वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियां भारत के पक्ष में हैं। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं, भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह देश के लिए गर्व का क्षण है।”
अब केवल तीन देश हैं भारत से आगे
नीति आयोग प्रमुख के अनुसार, अब सिर्फ अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। यदि आर्थिक गति इसी प्रकार बनी रही, तो भारत अगले ढाई से तीन वर्षों में जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर होगा। यह लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2024 के चुनावी अभियान में घोषित ‘विकसित भारत 2047’ के तहत एक प्रमुख मील का पत्थर माना जा रहा है।
मैन्युफैक्चरिंग और एसेट मोनेटाइजेशन पर भी सरकार का फोकस
एक सवाल के जवाब में जब उनसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एप्पल को लेकर दिए गए टैरिफ संबंधी बयान के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा:
“टैरिफ दरों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन भारत आज भी मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक बेहद किफायती विकल्प बना हुआ है। वैश्विक कंपनियां भारत को पसंद कर रही हैं।”

सुब्रह्मण्यम ने यह भी बताया कि सरकार एसेट मोनेटाइजेशन योजना के दूसरे चरण की तैयारी कर रही है, जिसे अगस्त 2025 में लॉन्च किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य सरकारी परिसंपत्तियों से अधिकतम राजस्व अर्जित करना और बुनियादी ढांचे के विकास को गति देना है।
GDP ग्रोथ में स्थायित्व और निवेशकों का भरोसा
IMF और विश्व बैंक दोनों ही भारत की आर्थिक विकास दर को 6.8% से 7.2% के बीच अनुमानित कर रहे हैं, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है। इसके अलावा विदेशी निवेशकों का रुझान भी भारत की ओर बढ़ रहा है। ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी सरकारी पहलें इस प्रगति की मजबूत आधारशिला बन रही हैं।