नई दिल्ली: गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर बड़ी बिकवाली देखने को मिली, जिससे निवेशकों को एक ही दिन में करीब 7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा। सप्ताह के चौथे कारोबारी दिन बीएसई सेंसेक्स ट्रेडिंग के दौरान जहां 82,661.04 अंक के उच्चतम स्तर तक पहुंचा, वहीं 81,523 अंक तक लुढ़क गया, जिससे लगभग 1138 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की गई।
दिन के अंत में बीएसई सेंसेक्स 823.16 अंक गिरकर 81,691.98 अंक पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी में 253.20 अंकों की गिरावट के साथ यह 24,888.20 अंक पर आ गया।

निवेशकों की संपत्ति में 7 लाख करोड़ रुपये की भारी कमी
बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण ₹456 लाख करोड़ से घटकर ₹449 लाख करोड़ रह गया। इससे निवेशकों की संपत्ति में केवल एक दिन में लगभग ₹7 लाख करोड़ की गिरावट दर्ज की गई, जो हालिया समय में सबसे बड़ी गिरावटों में से एक है।
बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण:
1. वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिका के विदेश विभाग और सेना ने इस क्षेत्र में दूतावासों से कर्मचारियों की वापसी शुरू कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को साफ तौर पर कहा कि मध्य पूर्व अब “खतरनाक” जगह बन चुका है।
इसके साथ ही अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इजराइल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की योजना बना रहा है। ट्रंप ने यह भी दोहराया कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
2. अमेरिका-चीन डील और टैरिफ संकट
हालांकि अमेरिका ने चीन के साथ व्यापार समझौता किया है, लेकिन यह निवेशकों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर रहा। ट्रंप प्रशासन की ओर से यह बयान आया है कि वे आगामी दो सप्ताह में कई देशों को टैरिफ से संबंधित पत्र भेजेंगे, जो नई ट्रेड वॉर की आशंका को जन्म देता है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका कितने देशों पर और किस दर से टैरिफ लगाएगा, जिससे वैश्विक निवेशक असमंजस में हैं और मुनाफावसूली के मूड में आ गए हैं।

3. वैश्विक बाजारों में मंदी की चेतावनी
विश्व बैंक ने भी हाल ही में अपनी वैश्विक विकास दर के पूर्वानुमान में कटौती की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अमेरिका की टैरिफ नीतियों के चलते न केवल अमेरिका बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी का सामना करना पड़ सकता है।
4. उच्च वैल्यूएशन पर मुनाफावसूली
भारतीय बाजार में लंबे समय से चल रही तेजी के चलते वैल्यूएशन काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच चुका था। ऐसे में नए सकारात्मक संकेतकों की कमी और बढ़ते वैश्विक जोखिमों ने घरेलू और विदेशी दोनों ही निवेशकों को मुनाफावसूली के लिए प्रेरित किया।