जयपुर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण समाप्त होते ही पूरे राज्य में राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है। पहले चरण की 121 सीटों पर इस बार 65.08 प्रतिशत का रिकॉर्ड मतदान (Record Voting) हुआ, जो पिछले चुनाव की तुलना में लगभग 8 प्रतिशत अधिक है। मतदाताओं के इस अभूतपूर्व उत्साह ने सियासी गलियारों से लेकर फलोदी सट्टा बाजार (Phalodi Satta Bazar) तक चर्चा छेड़ दी है कि आखिर बिहार की गद्दी (Bihar Throne) किसके हाथ आएगी। चुनावी नतीजों का अनौपचारिक बैरोमीटर माने जाने वाले राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार के नए अनुमान NDA (NDA) को स्पष्ट बढ़त की ओर इशारा कर रहे हैं।
फलोदी सट्टा बाजार का नवीनतम समीकरण: NDA को बढ़त
पहले चरण के रिकॉर्ड वोटिंग ट्रेंड को देखते हुए फलोदी सट्टा बाजार ने अपने शुरुआती अनुमानों में बदलाव किया है और अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की स्थिति को पहले से मजबूत बताया है।
एनडीए (NDA): अनुमानित सीटें 145 से 148 के बीच हैं, जो स्पष्ट बहुमत के आंकड़े से काफी ऊपर हैं।
बीजेपी (BJP): 70 से 72 सीटें।
जेडीयू (JDU): 57 से 59 सीटें।
महागठबंधन (India Bloc): अनुमानित सीटें 86 से 89 के बीच हैं।
आरजेडी (RJD): 66 से 68 सीटों पर सीमित होती नजर आ रही है।
सट्टा बाजार का आकलन है कि रिकॉर्ड वोटिंग का रुझान बीजेपी की संभावनाओं पर सबसे ज्यादा दांव लगाने के लिए प्रेरित कर रहा है, जबकि आरजेडी (RJD) की सीटों में थोड़ी गिरावट आई है।
ओपिनियन पोल भी NDA की स्पष्ट बहुमत की ओरफलोदी सट्टा बाजार के साथ-साथ तीन प्रमुख सर्वे एजेंसियों के ओपिनियन पोल (Opinion Poll) भी लगभग एक जैसी तस्वीर पेश कर रहे हैं, जो NDA की बढ़त को बरकरार दिखाते हैं।
| एजेंसी का नाम | NDA (सीटें) | महागठबंधन (सीटें) |
| आईएएनएस-मैटराइज | 153-164 | 76-87 |
| पोलस्ट्रैट | 133-143 | 93-102 |
| चाणक्य | 128-134 | 102-108 |
औसत रुझान: तीनों सर्वे के औसतन आंकड़े बताते हैं कि NDA करीब 140 सीटों पर आगे है, जो उसे स्पष्ट बहुमत की स्थिति में लाता है। वहीं महागठबंधन 90 से 100 सीटों के बीच सीमित नजर आ रहा है। यह बिहार चुनाव परिणाम (Bihar Election Result) की पहली अनौपचारिक झलक है।
कौन से फैक्टर हैं निर्णायक?
सर्वे के विश्लेषण बताते हैं कि इस चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) की लोकप्रियता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की प्रशासनिक छवि NDA की सबसे बड़ी पूंजी है।
मोदी फैक्टर: 63 प्रतिशत मतदाताओं ने माना कि मोदी फैक्टर इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
नीतीश की वापसी: 46 प्रतिशत लोगों ने नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री के रूप में देखने की इच्छा जताई है।
दूसरी ओर, महागठबंधन (Mahagathbandhan) ने बेरोजगारी, महंगाई, और पलायन जैसे प्रमुख मुद्दों को उठाया है। सर्वे में 18 से 25 वर्ष के करीब 38% युवा मतदाता बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा मान रहे हैं, और उनमें से बड़ी संख्या युवा नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के पक्ष में दिख रही है। हालांकि, ग्रामीण इलाकों में नीतीश-मोदी की जोड़ी अब भी मजबूत पकड़ बनाए हुए है।
तीसरे मोर्चे की सीमित उपस्थिति
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की जनसुराज पार्टी और एआईएमआईएम (AIMIM) जैसे तीसरे मोर्चे की मौजूदगी कुछ सीटों पर प्रभाव डाल सकती है। अनुमान है कि ये दोनों मिलकर 3 से 5 सीटें तक जीत सकते हैं। हालांकि, सत्ता के समीकरण पर इनका कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।





