Tuesday, March 25, 2025
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‘बात धर्म की नहीं, इतिहास की है’ — औरंगजेब विवाद पर RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबोले का बयान

बेंगलुरु: औरंगजेब विवाद (Aurangzeb Row) पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने एक बार फिर प्रतिक्रिया दी है। संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने बेंगलुरु में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि अतीत की घटनाओं पर पुनर्विचार आवश्यक है। उन्होंने औरंगजेब रोड का नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड करने को उचित ठहराया और कहा कि इसके पीछे कुछ ठोस कारण थे।

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दारा शिकोह को हीरो बनाने की आवश्यकता पर जोर

होसबोले ने कहा कि औरंगजेब के भाई दारा शिकोह को इतिहास में वह स्थान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। उन्होंने कहा, “गंगा-जमुनी तहज़ीब की वकालत करने वालों ने कभी दारा शिकोह को आगे लाने का प्रयास नहीं किया। क्या हम किसी ऐसे व्यक्ति को आइकॉन बनाएंगे, जो भारत की संस्कृति के खिलाफ था, या हम उन लोगों को आदर्श मानेंगे जिन्होंने इस भूमि की परंपराओं का सम्मान किया?”

आक्रमणकारी मानसिकता देश के लिए खतरा

होसबोले ने महाराणा प्रताप की बहादुरी की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी लड़ाई भी आजादी की लड़ाई थी। उन्होंने कहा, “अगर आक्रमणकारी मानसिकता वाले लोग हैं, तो वे देश के लिए खतरा हैं। हमें तय करना होगा कि हम अपनी संस्कृति से किसे जोड़ना चाहते हैं। यह धर्म की बात नहीं है, बल्कि संस्कृति और राष्ट्र की पहचान से जुड़ा मुद्दा है।”

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वक्फ संशोधन विधेयक पर प्रतिक्रिया

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर भी दत्तात्रेय होसबोले ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “सरकार ने वक्फ के लिए एक आयोग बनाया है और अब तक की प्रक्रिया सही दिशा में रही है। आगे हम देखेंगे कि यह आयोग किस तरह के प्रस्ताव लाता है।”

औरंगजेब की प्रासंगिकता पर संघ का मत

कुछ दिनों पहले आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने भी औरंगजेब की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि आज के समय में औरंगजेब प्रासंगिक है।”

नागपुर हिंसा पर बयान

नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा पर भी होसबोले ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “किसी भी प्रकार की हिंसा समाज के लिए हानिकारक है। पुलिस ने इस घटना पर संज्ञान लिया है और विस्तृत जांच की जा रही है।”

औरंगजेब विवाद की पृष्ठभूमि

औरंगजेब विवाद की शुरुआत फिल्म ‘छावा’ की रिलीज के बाद हुई, जब कुछ हिंदू संगठनों ने मांग की कि संभाजीनगर में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाया जाए। संगठनों का कहना था कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या की थी, इसलिए उनकी कब्र को वहां बनाए रखना अनुचित है। भाजपा के कुछ नेताओं ने भी इस मांग का समर्थन किया था।

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