Saturday, April 19, 2025
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बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने हिंसक रूप लिया, धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार बढ़े, अमेरिकी हिंदू, बौद्ध और ईसाई संगठनों ने ट्रंप से हस्तक्षेप की अपील की

बांग्लादेश: बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ जारी आंदोलन ने हिंसक रूप लिया, और अब यह देश की राजनीति में गहरे बदलाव का कारण बन गया है। बांग्लादेश में सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ बढ़ते आक्रोश ने एक नए मोड़ लिया, जब विभिन्न धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं बढ़ने लगीं। इस स्थिति से चिंतित बांग्लादेशी अमेरिकी हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों के एक गठबंधन ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक ज्ञापन भेजा है।

अल्पसंख्यक समुदायों की रक्षा में हस्तक्षेप की अपील

समूह ने राष्ट्रपति ट्रंप से बांग्लादेश में बढ़ते अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ अत्याचारों को रोकने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है। इस ज्ञापन में विशेष रूप से एक मामले का उल्लेख किया गया है, जिसमें संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का विरोध किया गया है। इस समूह का कहना है कि कृष्ण दास को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है और उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है।

कट्टरपंथी घटनाओं की बढ़ती आशंका

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी घटनाओं की बढ़ती संभावना पूरे दक्षिण एशिया और वैश्विक स्तर पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। यह चेतावनी दी गई है कि यदि बांग्लादेश में इस तरह की घटनाएं जारी रहती हैं, तो इसका असर न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि पर भी पड़ सकता है।

संत कृष्ण दास की गिरफ्तारी

इस्कॉन के पूर्व नेता संत चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें देश के झंडे का अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद चट्टोग्राम की अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया। इस मामले की सुनवाई 2 जनवरी 2025 को होने वाली है।

अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम का प्रस्ताव

ज्ञापन में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और स्वदेशी समुदायों की रक्षा के लिए कई ठोस कदम उठाने की सिफारिश की गई है। समूह ने बांग्लादेश सरकार से एक अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम लागू करने की मांग की है, जो इन समुदायों को आधिकारिक तौर पर मान्यता प्रदान करेगा। इसके अलावा, समूह ने बांग्लादेश में सुरक्षा क्षेत्रों की स्थापना, अल्पसंख्यकों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था और धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए कड़े कानूनों की भी सिफारिश की है।

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