सूरजगढ़, 10 अप्रैल 2025: सूरजगढ़ कस्बे के प्याऊ वाला बालाजी मंदिर में तीन दिवसीय धार्मिक आयोजन का शुभारंभ 10 अप्रैल को बालाजी महाराज की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा एवं भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को धर्म, भक्ति और सामाजिक एकता से जोड़ना है।
भव्य कलश यात्रा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह निर्माणाधीन प्याऊ वाला बालाजी मंदिर से महिलाओं द्वारा निकाली गई कलश यात्रा से हुई। सैकड़ों महिलाएं कलश सिर पर रखे पारंपरिक वेशभूषा में बैंड-बाजे के साथ धार्मिक गीतों पर चल रही थीं। यह यात्रा श्री श्याम दरबार सूरजगढ़ धाम, श्री गणेश मंदिर, नगर पालिका चौक, मुख्य बाजार, रूपदास जी का मंदिर, कायां का मंदिर, जाटों का मोहल्ला होते हुए पुनः मंदिर परिसर पहुंची।

प्राण प्रतिष्ठा एवं प्रसाद वितरण
कलश यात्रा के समापन के पश्चात दोपहर 12:15 बजे प्रसिद्ध आचार्य पंडित चेतन शर्मा के आचार्यत्व में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बालाजी महाराज की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा विधिपूर्वक की गई। इसके उपरांत भक्तों के लिए प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
प्रमुख श्रद्धालुओं की सहभागिता
इस पावन अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्तियों एवं श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही, जिनमें भगत सांवरमल सैनी, मनोहर लाल जांगिड़, वार्ड पार्षद नरेंद्र कुमार चेजारा, सुरेश कुमार बिशनोलिया, रोहताण कुमावत, बालजी चेजारा, राज कुमार टेलर, कैलाश सैनी, संतोष चेजारा, राजेश छापड़िया, सज्जन शर्मा सावलोद वाले, रंगलाल जांगिड़, डॉ. संदीप, मिस्त्री हरीराम नायक, रेखा स्योराण, अनुराधा अग्रवाल, रेशम जांगिड़, ज्योत्सना अग्रवाल, सरोज सैनी (सीकर), सिंगर बिट्टू चौधरी प्रमुख रहे।
आज रात्रि 9:15 बजे भजन संध्या
10 अप्रैल की रात 9:15 बजे से भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा, जिसमें भक्ति गीतों के माध्यम से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत किया जाएगा।
द्वितीय दिवस: 11 अप्रैल को भंडारा
दूसरे दिन 11 अप्रैल 2025 को शाम 7:15 बजे विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी श्रद्धालुओं को भोजन प्रसाद रूप में वितरित किया जाएगा।

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12 अप्रैल को निशान यात्रा का आयोजन
तीसरे व अंतिम दिन 12 अप्रैल 2025 को सुबह 9:15 बजे 18वीं विशाल निशान यात्रा का आयोजन किया जाएगा, जो नवनिर्मित मंदिर परिसर से चुली वाला मंदिर, जीणी (हरिपुरा) तक जाएगी। यह यात्रा श्रद्धालुओं की सामूहिक आस्था एवं भक्ति का प्रतीक होगी।