मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और राज्य के चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह को कांग्रेस पार्टी ने 6 वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया है। यह निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा लिया गया, जिसे पार्टी ने अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के विरुद्ध कड़ा कदम बताया है।
क्या था मामला?
लक्ष्मण सिंह ने 25 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, कांग्रेस नेता रॉबर्ट वाड्रा और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर गंभीर आरोप लगाए थे।

रॉबर्ट वाड्रा पर प्रतिक्रिया:
लक्ष्मण सिंह ने रॉबर्ट वाड्रा के उस बयान की कड़ी आलोचना की, जिसमें वाड्रा ने कहा था कि “मुसलमानों को सड़क पर नमाज नहीं पढ़ने देते, इसलिए आतंकियों ने हमला किया।” इसके जवाब में लक्ष्मण सिंह ने कहा:
“ये बचपना हम कब तक झेलेंगे? राहुल गांधी और रॉबर्ट वाड्रा नादान हैं। राहुल गांधी को सोच-समझकर बोलना चाहिए, वो नेता प्रतिपक्ष हैं।”
Congress President Mallikarjun Kharge has expelled Laxman Singh, Former MLA, Madhya Pradesh, from the primary membership of the party for a period of six years due to his anti-party activities. pic.twitter.com/G8jBZBqVQx
— ANI (@ANI) June 11, 2025
उमर अब्दुल्ला पर बड़ा आरोप:
लक्ष्मण सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि उमर अब्दुल्ला का आतंकियों से संबंध हो सकता है। उन्होंने कहा:
“उमर अब्दुल्ला को लेकर संदेह है कि वे आतंकवादियों से मिले हुए हो सकते हैं। हमारे नेताओं को सोच-समझकर बोलना चाहिए, वरना जनता का विश्वास उठ जाएगा।”

कांग्रेस का जवाब: ‘सीमा लांघी’
पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि लक्ष्मण सिंह की हालिया टिप्पणियां न केवल पार्टी के सिद्धांतों के विरुद्ध हैं, बल्कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है। कांग्रेस ने यह भी कहा:
“लक्ष्मण सिंह की भाषा और विचारों ने सारी मर्यादाएं तोड़ दी हैं। ऐसे में अनुशासनात्मक कार्रवाई आवश्यक हो गई थी।”
कांग्रेस के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल द्वारा पार्टी निष्कासन आदेश को सार्वजनिक किया गया।
लंबा रहा राजनीतिक सफर, लेकिन बढ़ती दूरी थी स्पष्ट
लक्ष्मण सिंह 1990 के दशक से कांग्रेस में सक्रिय रहे हैं और मध्य प्रदेश में कई बार विधायक चुने गए हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से उनके पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेद खुलकर सामने आते रहे हैं। पहले भी वे 2004 में बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और 2013 में पुनः कांग्रेस में लौटे थे।