नई दिल्ली: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने उन्हें एक महान दूरदर्शी राजनेता बताया और कहा कि जिमी कार्टर ने वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए अथक प्रयास किए। पीएम मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में जिमी कार्टर का योगदान एक स्थायी विरासत के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, “पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के निधन से बहुत दुख हुआ। वह एक महान दूरदर्शी राजनेता थे। उन्होंने वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए अथक प्रयास किया। भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने में उनका योगदान एक स्थायी विरासत छोड़ गया है। उनके परिवार, दोस्तों और अमेरिका के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।”
भारत से गहरा नाता
जिमी कार्टर का भारत से एक खास नाता रहा है। वह भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे। 1978 में अपने भारत दौरे के दौरान उन्होंने हरियाणा के एक छोटे से गांव का दौरा किया था। इस गांव को उनके सम्मान में उनका नाम दिया गया था, और यह घटना भारत-अमेरिका संबंधों की एक यादगार मिसाल बन गई। कार्टर का निधन रविवार रात को 100 वर्ष की आयु में हुआ। वह अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति थे।
भारत-अमेरिका साझेदारी की नींव रखने वाले राष्ट्रपति
जिमी कार्टर के भारत दौरे को भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है। कार्टर के नेतृत्व में अमेरिका और भारत के बीच स्थायी साझेदारी की नींव रखी गई थी। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष सहयोग, समुद्री सुरक्षा, आपदा राहत, आतंकवाद विरोधी सहयोग जैसे कई क्षेत्रों में संबंधों को मजबूती मिली। कार्टर प्रशासन के बाद से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में भी भारी वृद्धि देखी गई।
2000 के दशक के मध्य में, जब अमेरिका और भारत ने परमाणु ऊर्जा सहयोग के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया, तो यह जिमी कार्टर द्वारा शुरू किए गए संबंधों की ही कड़ी थी।
मानवता की सेवा में जिमी कार्टर का योगदान
राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद, जिमी कार्टर ने अपनी पूरी जिंदगी मानवता की सेवा में समर्पित कर दी। उन्होंने ‘कार्टर सेंटर’ नामक संस्था की स्थापना की, जो वैश्विक स्वास्थ्य, शांति और मानवाधिकारों के क्षेत्र में काम कर रही है। इस नेक कार्य के लिए उन्हें 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।