सूरजगढ़: शेखावाटी अंचल के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान पालीराम बृजलाल स्कूल सूरजगढ़ अपने स्थापना के शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इसी ऐतिहासिक अवसर पर विद्यालय परिसर में सेठ फतेहचंद पालीराम की स्मृति में मूर्ति अनावरण समारोह का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन शिक्षा, समाज और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति विद्यालय की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाएगा, जिसमें धार्मिक, राजनीतिक और शैक्षणिक क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति रहेगी।
पालीराम बृजलाल स्कूल सूरजगढ़ में सेठ फतेहचंद पालीराम की प्रतिमा का विधिवत अनावरण 22 दिसंबर 2025, सोमवार को प्रातः 10 बजे किया जाएगा। यह समारोह विद्यालय की सौ वर्षों की शैक्षिक यात्रा, सामाजिक योगदान और संस्थापक परिवार की दूरदर्शिता को समर्पित रहेगा। आयोजन समिति के अनुसार कार्यक्रम को भव्य और स्मरणीय बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की जा रही हैं।
समारोह की गरिमा को आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान करने के लिए गोरक्षपीठ रेवासा के अग्र पीठाधीश्वर एवं मलूक पीठाधीश्वर वृंदावन जगद्गुरु राजेंद्र दास महाराज की उपस्थिति रहेगी। उनके आशीर्वचन से कार्यक्रम को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व मिलेगा, जिससे शैक्षणिक वातावरण में नैतिक मूल्यों का संदेश भी प्रसारित होगा।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राज्यसभा सांसद एवं राजस्थान सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवारी कार्यक्रम में शामिल होंगे। नगर पालिका सूरजगढ़ की अध्यक्ष पुष्पा सेवाराम गुप्ता समारोह की अध्यक्षता करेंगी। इनके साथ शिक्षा, समाज और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े अनेक गणमान्य नागरिकों की सहभागिता अपेक्षित है।
कार्यक्रम में सांस्कृतिक रंग भरने के लिए संजय मुकुंदगढ़ अपनी विशेष प्रस्तुति देंगे, वहीं हास्य कवि हरीश हिंदुस्तानी अपने व्यंग्य और हास्य से श्रोताओं को गुदगुदाएंगे। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से शताब्दी समारोह को स्मरणीय बनाने का प्रयास किया जाएगा।
समारोह की सफल रूपरेखा तैयार करने और क्रियान्वयन में निरंजन झुंझुनूवाला, ट्रस्टी रवि झुंझुनूवाला, अध्यक्ष महावीर प्रसाद शर्मा, सचिव सेवाराम गुप्ता और प्रबंधक संदीप कदयान की सक्रिय भूमिका रही है। आयोजन समिति ने इसे विद्यालय के इतिहास का एक गौरवपूर्ण अध्याय बताया है।
आयोजकों ने सूरजगढ़ सहित आसपास के क्षेत्र के नागरिकों, शिक्षाविदों, पूर्व छात्रों और विद्यार्थियों से अधिकाधिक संख्या में समारोह में उपस्थित होकर शैक्षणिक परंपरा के इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने की अपील की है।





