पाकिस्तान \ चीन: पाकिस्तान और चीन जल्द ही एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं, जिसके तहत चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की तैनाती पाकिस्तान में की जाएगी। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान में काम कर रहे हजारों चीनी नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है, क्योंकि पिछले कुछ समय से पाकिस्तान में चीनी नागरिकों को निशाना बनाकर लगातार हमले हो रहे हैं। इससे चीन की शी जिनपिंग सरकार की चिंता बढ़ गई है और अब वह पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर भरोसा नहीं कर रही है।
बख्तरबंद गाड़ियों में घूमेंगे चीनी नागरिक
समझौते के अनुसार, पाकिस्तान में चीनी नागरिकों को अब बख्तरबंद वाहनों से परिवहन की सुविधा प्रदान की जाएगी। वर्तमान में हजारों की संख्या में चीनी नागरिक पाकिस्तान में विभिन्न परियोजनाओं पर कार्यरत हैं, लेकिन उन पर हो रहे लगातार हमलों ने दोनों देशों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। पहले पाकिस्तान ने चीनी सेना की तैनाती का विरोध किया था, मगर चीन के भारी दबाव के चलते शहबाज सरकार को झुकना पड़ा।
बीएलए के हमलों ने बढ़ाई चीन की चिंता
पाकिस्तान में अरबों डॉलर की चीनी परियोजनाएं विद्रोही संगठनों के निशाने पर हैं, जिसमें सबसे प्रमुख संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) है। बीएलए पहले भी कई बार चीनी नागरिकों पर हमले कर चुका है और ग्वादर पोर्ट को खाली करने की चेतावनी दे चुका है। ग्वादर पोर्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसमें 50 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया है। चीन को डर है कि इस प्रकार के हमले न केवल उसकी आर्थिक परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाएंगे बल्कि उसके नागरिकों की सुरक्षा भी खतरे में डालेंगे।
चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए रणनीति
समझौते के तहत पाकिस्तान और चीन एक संयुक्त सुरक्षा कंपनी स्थापित करेंगे। इस कंपनी की जिम्मेदारी होगी कि पाकिस्तान में कार्यरत चीनी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। चीनी नागरिकों की सुरक्षा के पहले घेरे में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी तैनात होगी, जबकि बाहरी घेरे में पाकिस्तान की सेना और पुलिस जिम्मेदारी संभालेंगी। इस तरह से दोनों देशों की सुरक्षा व्यवस्था के तहत चीनी नागरिकों की सुरक्षा को पुख्ता किया जाएगा।
पाकिस्तान पर चीन का दबाव क्यों बढ़ा?
निक्केई एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में चीन ने पाकिस्तान से अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए पीएलए की तैनाती की मांग की थी, लेकिन पाकिस्तान ने उस समय इसे अस्वीकार कर दिया था। हालांकि, आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज की कई बार मांग की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद चीन ने पाकिस्तान को अधिक निवेश का प्रस्ताव दिया, जिसमें शर्त यह रखी गई कि चीनी सेना की तैनाती पाकिस्तान में की जाएगी। इस आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान को अंततः चीन के इस प्रस्ताव के आगे झुकना पड़ा।