इस्लामाबाद, पाकिस्तान: पाकिस्तान में बलूच विद्रोही संगठनों और सेना के बीच जारी संघर्ष ने एक बार फिर से गंभीर रूप ले लिया है। बलूच विद्रोही समूहों ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का अपहरण कर लिया, जिसके बाद पाकिस्तान की सेना ने बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया। पाकिस्तानी सेना के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने इस घटना को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आतंकवादियों के साथ-साथ उनके समर्थकों और सहायकों को भी देश के अंदर और बाहर चुनौती दी जाएगी।
पाकिस्तानी सेना का कड़ा रुख: आतंकियों से सख्ती से निपटने की चेतावनी
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने स्पष्ट रूप से कहा, “आतंकवादियों से वैसा ही निपटा जाएगा जैसा वे चाहते हैं। जो निर्दोष नागरिकों की हत्या करते हैं और समाज में जातीयता के आधार पर विभाजन लाते हैं, उनका बलूच या इस्लाम से कोई संबंध नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा, “हम आतंकियों, उनके मददगारों और समर्थकों से पूरी ताकत से निपटेंगे, चाहे वे पाकिस्तान के अंदर हों या बाहर।” पाकिस्तानी सेना के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार बलूच विद्रोहियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के मूड में है।
बलूच विद्रोहियों का दावा: 214 बंधकों की हत्या
इस घटना के बाद बलूच विद्रोही संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने बड़ा दावा किया है। संगठन के प्रवक्ता जीयंद बलूच ने कहा कि पाकिस्तान सेना की जिद और बातचीत से बचने की नीति के चलते 214 बंधकों की हत्या कर दी गई।
बीएलए प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, “हमने पाकिस्तानी सेना को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, ताकि युद्धबंदियों की अदला-बदली की जा सके। लेकिन सेना ने इसे नजरअंदाज कर दिया, जिसका परिणाम 214 कर्मियों की मौत के रूप में सामने आया।”
बलूच संगठन ने यह भी दावा किया कि उन्होंने हमेशा युद्ध के अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन किया है, लेकिन पाकिस्तानी सेना की हठधर्मिता के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
क्या सच में मारे गए सभी 33 विद्रोही?
पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि ट्रेन हाईजैक करने वाले बीएलए के सभी 33 विद्रोहियों को मार गिराया गया है। आईएसपीआर के अनुसार, बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस क्लीयरेंस ऑपरेशन अब पूरा हो चुका है और इसमें मौजूद सभी विद्रोही मारे गए हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल शरीफ चौधरी ने कहा, “हमने हाईजैक की गई ट्रेन को पूरी तरह से सुरक्षित किया और इसमें शामिल सभी 33 आतंकियों को खत्म कर दिया गया।”
क्या पाकिस्तानी सेना के दावे पर संदेह?
बलूच विद्रोही संगठनों द्वारा 214 बंधकों की हत्या के दावे और पाकिस्तानी सेना द्वारा 33 विद्रोहियों को मार गिराने के दावे में विरोधाभास नजर आ रहा है। बीएलए का कहना है कि सेना ने बातचीत के बजाय अपने ही सैनिकों की बलि दे दी।
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना से बलूचिस्तान में हिंसा और बढ़ सकती है। पाकिस्तान सरकार पर पहले से ही मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं और इस ऑपरेशन के बाद स्थिति और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।