लाहौर, 10 जुलाई 2024: पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधक अदालत (एटीसी) ने 9 मई को हुए दंगों के तीन मामलों में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इन दंगों की शुरुआत खान की गिरफ्तारी के बाद हुई थी, जो भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोपित थे।
9 मई के दंगों की पृष्ठभूमि
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक और अध्यक्ष इमरान खान के खिलाफ 9 मई, 2023 को लाहौर के कोर कमांडर हाउस (जिसे जिन्ना हाउस के नाम से जाना जाता है), अस्करी टॉवर और शादमान पुलिस थाने पर हमलों के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में मामले दर्ज किए गए थे। इन घटनाओं के दौरान खान के समर्थकों ने कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया था।
आतंकवाद निरोधक अदालत का निर्णय
आतंकवाद निरोधक अदालत लाहौर के न्यायाधीश खालिद अरशद ने खान को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया और तीनों मामलों में उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया। अभियोजन पक्ष ने 9 मई की हिंसा की तुलना 2021 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों द्वारा कैपिटल हिल (अमेरिकी संसद) पर हमलों से की। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि पुलिस को इन मामलों में जांच पूरी करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री को हिरासत में रखने की आवश्यकता है।
इमरान खान: 200 से अधिक मामलों का सामना
क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने 71 वर्षीय इमरान खान 200 से अधिक मामलों का सामना कर रहे हैं और पिछले साल अगस्त से रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं। ‘डॉन’ समाचार पत्र की खबर के अनुसार, न्यायाधीश अरशद ने अभियोजन पक्ष और याचिकाकर्ता के वकील की अंतिम दलीलें सुनने के बाद छह जुलाई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बैरिस्टर सलमान सफदर की दलीलें
साजिश और उकसावे के आरोपों को खारिज करते हुए बैरिस्टर सलमान सफदर ने तर्क दिया था कि यह साबित करने के लिए कोई गवाह नहीं है कि इमरान खान ने हिंसा भड़काई थी। उन्होंने कहा था कि खान ने प्रदर्शनों की निंदा की थी और अपने समर्थकों से हिंसा नहीं करने का आग्रह किया था।