श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर: पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोमवार को एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस दौरान प्रस्ताव का समर्थन करते हुए बेहद भावुक संबोधन दिया। उमर अब्दुल्ला ने हमले में मारे गए सभी लोगों के नामों का उल्लेख करते हुए गहरी संवेदना प्रकट की और कहा कि यह हमला हमें भीतर से तोड़ने वाला है।
“26 साल में पहली बार कश्मीर ने खुलकर आतंक के खिलाफ आवाज उठाई”
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा,
“26 साल में पहली बार मैंने जम्मू-कश्मीर में लोगों को इस तरह सड़कों पर निकलकर आतंकवाद के खिलाफ बोलते देखा है। कठुआ से लेकर श्रीनगर तक लोग ‘Not in My Name’ के पोस्टर लेकर सामने आए। हर कश्मीरी यह संदेश दे रहा है कि वह आतंकवाद के साथ नहीं है।”

उन्होंने कहा कि न तो भारतीय संसद और न ही किसी अन्य विधानसभा को पहलगाम के पीड़ितों का दर्द उस गहराई से महसूस हो सकता है जितना जम्मू-कश्मीर विधानसभा कर सकती है।
“इस सदन में बैठे लोग खुद हमलों के शिकार रहे हैं”
अपने संबोधन में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि विधानसभा में कई सदस्य ऐसे हैं जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से आतंकवाद का दर्द झेला है।
“किसी ने पिता खोया, किसी ने चाचा। कई ऐसे साथी हैं, जिन पर इतने हमले हुए कि गिनती करना मुश्किल है। श्रीनगर में 2001 के हमले में हमने 40 जिंदगियां गंवाई थीं।”
उन्होंने आगे कहा कि पहलगाम हमले का दर्द इस विधानसभा से बेहतर कोई नहीं समझ सकता।
“नौसेना अधिकारी की विधवा से मैं क्या कहूं?”
भावुक होते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह उन परिवारों को कैसे सांत्वना दें जिनके अपने इस हमले में मारे गए।
“एक नौसेना अधिकारी की विधवा, जिसकी कुछ ही दिन पहले शादी हुई थी, मुझसे सवाल कर रही थी कि उनका क्या कसूर था? मेरे पास कोई जवाब नहीं था।”
उमर अब्दुल्ला ने माफी मांगते हुए कहा कि पर्यटकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर की थी, और इस हमले ने इस जिम्मेदारी पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।

“आदिल और आम नागरिकों की वीरता को सलाम”
मुख्यमंत्री ने पहलगाम हमले के दौरान अदम्य साहस दिखाने वाले आदिल का विशेष उल्लेख किया।
“आदिल ने अपनी जान की परवाह किए बिना कई पर्यटकों की जान बचाई। भागने के बजाय वह उनके लिए डटा रहा और शहीद हो गया।”
उमर ने कहा कि कई स्थानीय लोगों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया और अपने फूड स्टॉल से पर्यटकों को मुफ्त में भोजन कराया। इस मानवीयता ने कश्मीरियत की असली तस्वीर पेश की।
“हमारा समाज आतंकवाद को नकार चुका है”
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह विरोध और एकजुटता दिखाती है कि अब कश्मीर का समाज आतंक के खिलाफ खड़ा हो गया है।
“अगर हमारे लोग हमारे साथ हैं, तो हम आतंकवाद को हराने में सफल होंगे। कश्मीर की मस्जिदों में पहलगाम के पीड़ितों को श्रद्धांजलि स्वरूप मौन रखा गया — यह बहुत बड़ी बात है।”