पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव में अभी एक साल का समय बचा है, लेकिन इससे पहले ही राजनीतिक तापमान बढ़ने लगा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है।
बीजेपी के सह प्रभारी और आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने टीएमसी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सीमावर्ती इलाकों में हिंदू मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं और उनकी जगह बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों के नाम जोड़े जा रहे हैं।

नादिया जिले में 98 हिंदू मतदाताओं के नाम हटाए जाने का आरोप
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया कि नादिया जिले में टीएमसी सरकार ने मतदाता सूची में छेड़छाड़ की है। उन्होंने कहा, “अब्दुल रहमान शेख नामक व्यक्ति की ओर से की गई अपील के बाद ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ) ने तुरंत 98 हिंदू मतदाताओं के नाम सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।”
बीजेपी नेता ने इसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सोची-समझी रणनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि बीडीओ, जो मतदाता सूची तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। मालवीय ने यह भी आरोप लगाया कि मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए हिंदू मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं।
ममता सरकार पर लगाए गए गंभीर आरोप
अमित मालवीय ने कहा, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जानती हैं कि राज्य में मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा तबका टीएमसी को समर्थन देता है। ऐसे में हिंदू मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।”
बीजेपी ने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया और आरोप लगाया कि यह वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने चुनाव आयोग से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग भी की है।

टीएमसी ने किया आरोपों को खारिज
टीएमसी ने बीजेपी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि बीजेपी जानबूझकर अफवाह फैला रही है और सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने का प्रयास कर रही है। टीएमसी ने कहा कि राज्य सरकार सभी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और मतदाता सूची में किसी भी तरह की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।