नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी अदालत द्वारा खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ जारी समन पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे पूरी तरह से अनुचित और भारत की नीति के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि इस मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और उच्चस्तरीय जांच शुरू की गई है, जिसमें सभी पहलुओं पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।
विदेश सचिव की टिप्पणी
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “ये आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। इस केस से हमारे मत में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा। इस केस को दायर करने वाला व्यक्ति एक गैर-कानूनी संगठन का प्रतिनिधि है। जब इस मुद्दे को हमारे सामने पहली बार लाया गया, हमने तुरंत कार्रवाई की थी। कट्टरपंथी सिख फॉर जस्टिस का प्रमुख पन्नू भारतीय नेताओं और संस्थाओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण और धमकियां देने के लिए जाना जाता है।”
अमेरिकी कोर्ट में मामला
गुरपतवंत सिंह पन्नू ने न्यूयॉर्क के साउथ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भारत सरकार और कई प्रमुख भारतीय अधिकारियों के खिलाफ हत्या की साजिश के आरोप में मामला दर्ज कराया है। समन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, पूर्व रॉ प्रमुख सामंत गोयल, रॉ एजेंट विक्रम यादव और भारतीय व्यवसायी निखिल गुप्ता के नाम भी शामिल हैं। इन सभी को 21 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है।
अमेरिकी राजदूत की टिप्पणी
इस विवाद के बीच, भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस मामले का भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों की मजबूती की बात की और इसे एक अलग मुद्दा बताया।
मामले की पृष्ठभूमि
गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के आरोप में अमेरिकी अदालत द्वारा जारी समन भारतीय अधिकारियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कानूनी कदम है। पन्नू कट्टरपंथी सिख फॉर जस्टिस संगठन का प्रमुख है और इसके खिलाफ भारतीय सरकार कई बार कार्रवाई कर चुकी है।