नई दिल्ली: पतंजलि आयुर्वेद और उसके संस्थापक बाबा रामदेव एक बार फिर से विवादों के घेरे में आ गए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में आरोप लगाया गया है कि पतंजलि के हर्बल टूथ पाउडर ‘दिव्य दंत मंजन’ में मांसाहारी तत्व पाए गए हैं, जबकि इसे शाकाहारी उत्पाद के रूप में ब्रांड किया गया है। इस संबंध में अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद, बाबा रामदेव, केंद्र सरकार, और पतंजलि की उत्पादक इकाई दिव्य फार्मेसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर 2024 को होगी।
याचिका का विवरण
यह याचिका वकील यतिन शर्मा द्वारा दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ‘दिव्य दंत मंजन’ की पैकेजिंग पर हरे रंग का बिंदु अंकित है, जो कि शाकाहारी उत्पादों का प्रतीक है। हालांकि, याचिका में दावा किया गया है कि उत्पाद की सामग्री सूची में ‘सीपिया ऑफिसिनेलिस’ नामक तत्व का उल्लेख है, जो खारे पानी में रहने वाली कटलफिश से प्राप्त होता है। याचिकाकर्ता के अनुसार, इस तत्व का प्रयोग टूथ पाउडर में किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह मांसाहारी उत्पाद है।
यतिन शर्मा का तर्क है कि यह न केवल उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी है, बल्कि ‘ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट’ का भी उल्लंघन है। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि बाबा रामदेव और अन्य लोगों द्वारा इस उत्पाद को शाकाहारी के रूप में प्रचारित किया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को गुमराह किया जा रहा है।
कानूनी पहलू और प्रतिक्रियाएं
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव नरूला ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार और दिव्य फार्मेसी को नोटिस जारी किया है। अदालत ने संबंधित पक्षों को 28 नवंबर से पहले अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।