Sunday, June 15, 2025
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नाइजीरिया के बेन्यू राज्य के येलेवाटा गांव में बंदूकधारियों का भीषण हमला: 100 से अधिक लोगों की मौत, कई लापता

बेन्यू, नाइजीरिया: नाइजीरिया के मध्यवर्ती राज्य बेन्यू के येलवाटा गांव में हुए भीषण हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल नाइजीरिया द्वारा शनिवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, इस निर्मम हमले में कम से कम 100 ग्रामीणों की जान चली गई, जबकि कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। हमले के बाद से गांव का बड़ा हिस्सा खंडहर में तब्दील हो चुका है और जीवित बचे लोगों को मूलभूत चिकित्सा सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।

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जिंदा जला दिए गए लोग, घर बने राख का ढेर

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस हमले को “मानवता के खिलाफ अपराध” करार दिया है। संगठन की रिपोर्ट में बताया गया कि कई लोगों को उनके शयनकक्ष में बंद कर जिंदा जला दिया गया, वहीं दर्जनों लोग गोलीबारी और आगजनी में घायल हुए हैं। हमलावरों की बर्बरता इतनी थी कि पूरा गांव रातोंरात एक युद्ध क्षेत्र में बदल गया।

क्यों हुआ हमला? भूमि संघर्ष बना हिंसा का कारण

बेन्यू राज्य नाइजीरिया के मिडल बेल्ट क्षेत्र में आता है, जहां चरवाहों और किसानों के बीच लंबे समय से भूमि को लेकर टकराव चल रहा है। चरवाहे अपनी गायों के लिए चरागाह चाहते हैं, जबकि किसान खेती के लिए ज़मीन की मांग करते हैं। इस विवाद ने अब धार्मिक और जातीय तनाव का रूप ले लिया है, क्योंकि क्षेत्र में मुस्लिम और ईसाई समुदाय बड़ी संख्या में निवास करते हैं।

पिछली घटनाएं और आंकड़े

पिछले महीने भी ग्वेर वेस्ट जिले में ऐसे ही एक हमले में कम से कम 42 लोगों की मौत हो गई थी। SBM इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से अब तक 500 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 22 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि यह समस्या स्थानीय नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकट बन चुकी है।

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मानवाधिकार संगठनों की मांगें

अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय मानवाधिकार संगठनों ने नाइजीरिया सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनकी प्रमुख मांगें हैं:

  • हमलावरों की पहचान और गिरफ्तारी
  • पीड़ित परिवारों के लिए आपात राहत और पुनर्वास योजना
  • स्थायी समाधान हेतु नीति निर्माण, जिससे भूमि विवाद का अंत हो सके
  • प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती और सतत निगरानी

चिकित्सा संकट और राहत की कमी

रिपोर्ट के अनुसार, घायल लोगों को न तो अस्पतालों में स्थान मिल पा रहा है और न ही दवाइयां उपलब्ध हैं। चिकित्सा शिविरों की भारी कमी है और स्वास्थ्यकर्मी भी सीमित संसाधनों में काम कर रहे हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह नाइजीरिया सरकार की बड़ी विफलता है, जो दशकों पुराने इस संघर्ष को अब तक सुलझा नहीं सकी है।

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