नवलगढ़: जिला अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्थाओं पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अम्बेडकर नगर वार्ड संख्या 23 के निवासी संदीप कुमार मालपूरियां ने महिला चिकित्सक माया सैनी पर नव प्रसूता से जबरन निजी लैब से जांच करवाने और पैसे नहीं देने पर सीकर रेफर करने की धमकी देने का आरोप लगाया है।
संदीप ने बताया कि 19 जून को उन्होंने अपनी पत्नी को प्रसव के लिए नवलगढ़ के जिला अस्पताल में भर्ती करवाया था। सफल प्रसव के बाद, अगले ही दिन डॉक्टर ने अस्पताल के स्टाफ के माध्यम से बाहर की एक निजी लैब से जांच करवाने का दबाव डाला। आरोप के अनुसार, महिला चिकित्सक ने अस्पताल से ही फोन कर दो युवकों को बुलवाया, जिन्होंने प्रसूता का खून लेकर बाहर जांच करवाई और इसके बदले 1100 रुपये मांगे। जब परिजनों ने यह राशि देने से इनकार किया तो चिकित्सक ने प्रसूता को सीकर रेफर करने की चेतावनी दी।
संदीप ने बताया कि डॉक्टर ने उसकी पत्नी से सीधे अस्पताल के नंबर से बात करवाते हुए कहा कि यदि पैसे नहीं दिए गए, तो उसे रेफर कर दिया जाएगा। इस घटनाक्रम से आहत होकर परिजनों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज करवाई है।
परिजनों की ओर से इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी चिकित्सक के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। साथ ही यह भी मांग की गई है कि सरकारी अस्पतालों में बाहरी लैबों से जबरन जांच करवाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जाए।
शिकायत के बावजूद अभी तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, और अस्पताल प्रशासन ने भी पूरे प्रकरण पर चुप्पी साध रखी है।
सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त जांच और इलाज की सुविधा दिए जाने के सरकार के दावे तब संदिग्ध हो जाते हैं, जब मरीजों को निजी लाभ के लिए बाहर की लैबों में भेजा जाए। यह घटना न केवल मरीजों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य तंत्र में व्याप्त निजीकरण की प्रवृत्ति पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।