महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राज्य की राजनीति गर्मा गई है। अमरावती से बीजेपी समर्थित निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने अपने हालिया बयान में संकेत दिया है कि वह देवेंद्र फडणवीस को अगला मुख्यमंत्री देखना चाहती हैं। नवनीत राणा ने एक निजी न्यूज़ चैनल को दिए साक्षात्कार में खुलकर कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम पद के लिए बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस का समर्थन किया है। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है और महायुति गठबंधन के अन्य नेताओं जैसे एनसीपी नेता अजित पवार और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए नई चुनौती उत्पन्न कर दी है।
देवेंद्र फडणवीस के समर्थन में नवनीत राणा का बयान
साक्षात्कार में नवनीत राणा से महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने देवेंद्र फडणवीस का नाम लेते हुए कहा, “महायुति गठबंधन से मैं देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहूंगी। उन्होंने राज्य के लिए कई महत्वपूर्ण त्याग किए हैं और अब समय है कि उन्हें इसका फल मिलना चाहिए।” राणा ने इस बात पर भी जोर दिया कि लोकतंत्र में सरकार बनाने का हक उस पार्टी का होना चाहिए जिसके पास सबसे ज्यादा संख्या हो, और उनके अनुसार, बीजेपी ही महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी है और केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के रूप में नेतृत्व कर रही है।
राणा के इस बयान से राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है और आगामी चुनावों में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के बीच नए समीकरण उभर सकते हैं।
अकबरुद्दीन ओवैसी के बयान पर कड़ा जवाब
अमरावती सांसद ने AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के बयान का भी जिक्र किया जिसमें ओवैसी ने संभाजी नगर में धमकी भरे लहजे में 15 मिनट का समय मांगा था। नवनीत राणा ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि ऐसे लोगों को जवाब देना अत्यंत आवश्यक है और महिलाओं को भी इस मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए। उन्होंने ओवैसी के बयान को समाज में अशांति फैलाने वाला बताया और ऐसे नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
उद्धव ठाकरे पर भी साधा निशाना
नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए उन्हें घमंड का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने अपने पिता बाल ठाकरे के सिद्धांतों को त्याग दिया है और इसी कारण उनकी पार्टी की लोकप्रियता में कमी आ रही है। राणा ने यह भी कहा कि ठाकरे की राजनीतिक “दुकान” जल्द ही बंद हो सकती है।
राणा के बयान को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि बीजेपी और एनसीपी के बीच के संबंध और भी जटिल हो सकते हैं। महाराष्ट्र के आगामी चुनावों में यह बयान संभवतः एक नया मोड़ ला सकता है।