नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए सवाल किया है कि क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है। यह टिप्पणी उन्होंने ऐसे समय पर की है जब वह भारत के आतंकवाद विरोधी अभियान को वैश्विक स्तर पर साझा करने के उद्देश्य से बनाए गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं और विभिन्न देशों में जाकर भारत सरकार की आतंकवाद विरोधी नीतियों का समर्थन कर रहे हैं।
सलमान खुर्शीद ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि जब वे देश के संदेश को दुनिया तक पहुंचाने के लिए विदेशों में सक्रिय हैं, तो उस समय देश के भीतर कुछ लोग उनकी राजनीतिक निष्ठा पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उन्होंने लिखा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे समय में भी लोगों को एकता के बजाय राजनीतिक पक्षों की चिंता है। उनका कहना है कि जब आतंकवाद के विरुद्ध देश एकजुट होकर लड़ाई लड़ रहा हो, तब ऐसे मतभेद निराशाजनक हैं।
इससे पहले, उन्होंने एक अन्य पोस्ट में भारत के आतंकवाद विरोधी रुख की तारीफ की थी और वैश्विक समुदाय से इस दिशा में एकजुट होकर सहयोग करने की अपील की थी ताकि विश्व में शांति और समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
सलमान खुर्शीद इस समय जेडी (यू) सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व में गठित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जो इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर की यात्रा करने के बाद वर्तमान में मलेशिया में है। इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य भारत की आतंकवाद विरोधी कोशिशों और कश्मीर में हुए संवैधानिक बदलाव के प्रभाव को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साझा करना है।
हालांकि, कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं ने इस प्रतिनिधिमंडल की संरचना और इसके सदस्यों के चयन पर नाराजगी जताई है। पार्टी का कहना है कि केंद्र सरकार ने उनके सुझाए गए नामों को नजरअंदाज कर अपनी ओर से चयन किए हैं। पिछले सप्ताह कांग्रेस सांसद जयराम रमेश की एक टिप्पणी चर्चा में रही जिसमें उन्होंने कहा था, “हमारे सांसद घूम रहे हैं और आतंकवादी भी घूम रहे हैं।”
इस पृष्ठभूमि में जब सलमान खुर्शीद से उनके पोस्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि उन्हें निरंतर ऐसे सवालों का सामना करना पड़ रहा है जिनका जवाब देना उनके लिए कठिन होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि लोग पूछते हैं कि वह ऐसे प्रतिनिधिमंडल में क्या कर रहे हैं, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी के नेता शामिल हैं। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वह जो भी कर रहे हैं, वह देश के हित में है और इस समय देश की आवाज एक होनी चाहिए, न कि बंटी हुई।
सलमान खुर्शीद ने यह भी कहा कि वह यह सवाल उन लोगों से करना चाहते हैं जो देशहित में उठाए गए कदमों को राजनीतिक चश्मे से देख रहे हैं और उनके प्रयासों को लेकर नकारात्मक टिप्पणी कर रहे हैं। उनके अनुसार, ऐसी टिप्पणियां देश के लिए कुछ करने के उत्साह को कम करती हैं।
कुछ समय पहले भी सलमान खुर्शीद चर्चा में आए थे जब उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में हुई प्रगति को लेकर सकारात्मक बयान दिया था। उन्होंने जकार्ता में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद राज्य में समृद्धि आई है और लोकतांत्रिक संस्थानों ने मजबूती पाई है।
इन घटनाक्रमों के बीच सलमान खुर्शीद की यह टिप्पणी कि “क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है?” देश में राजनीतिक विमर्श के मौजूदा स्वरूप पर एक अहम सवाल खड़ा करती है। यह बताता है कि राष्ट्रीय मुद्दों पर एकजुटता की आवश्यकता जितनी ज्यादा है, उतनी ही राजनीतिक मतभेदों के कारण उसे लागू कर पाना कठिन होता जा रहा है।